
अमेरिका में नौकरी करने की योजना बना रहे भारतीयों के लिए बड़ी खबर है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने वर्क परमिट यानी ‘एंप्लॉयमेंट ऑथराइजेशन डॉक्यूमेंट’ (EAD) की वैलिडिटी अवधि में भारी कटौती कर दी है। नई USCIS नीति के तहत कई कैटेगरी के विदेशी वर्कर्स को अब 5 साल के बजाय केवल 18 महीने के लिए वर्क परमिट जारी किया जाएगा।
इस बदलाव का सीधा असर उन लाखों भारतीयों पर पड़ेगा, जो अमेरिका में नौकरी कर रहे हैं या ग्रीन कार्ड की प्रतीक्षा में हैं।
क्यों बदले नियम?
USCIS के अनुसार, वर्क परमिट की अवधि घटाने के पीछे सुरक्षा कारण सबसे बड़ी वजह है।
कम वैलिडिटी से—
- वर्कर्स की बार-बार जांच हो सकेगी
- फ्रॉड और सुरक्षा जोखिमों की पहचान आसान होगी
- संदिग्ध व्यक्तियों की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी जा सकेगी
डायरेक्टर जोसेफ एडलो ने कहा कि हाल ही में विदेशी नागरिक द्वारा नेशनल गार्ड के एक सदस्य पर हमले ने सुरक्षा समीक्षा मजबूत करने की जरूरत को स्पष्ट किया है।
किस भारतीय समूह पर सबसे ज्यादा असर?
इमिग्रेशन विशेषज्ञों के मुताबिक, नई नीति से सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे—
1. ग्रीन कार्ड की वेटिंग लिस्ट में शामिल भारतीय
हजारों भारतीय जो लंबे समय से रोजगार-आधारित ग्रीन कार्ड का इंतजार कर रहे हैं, उन्हें अक्सर अपने पेंडिंग एडजस्टमेंट-ऑफ-स्टेटस आवेदन के दौरान EAD पर काम करने की अनुमति मिलती है।
अब हर 18 महीने में रिन्यूअल करवाना पड़ेगा, जिससे—
- प्रक्रिया जटिल होगी
- देरी की आशंका बढ़ेगी
- जॉब खोने का जोखिम बढ़ जाएगा
2. EB-5 निवेशक
I-526/EB-5 आवेदन वाले निवेशक, जिनके मामले लंबित हैं, सबसे अधिक प्रभावित होंगे।
3. अमेरिकी नागरिकों के जीवनसाथी और माता-पिता
जो लोग अपने स्टेटस समायोजन (AOS) का इंतजार कर रहे हैं, उन्हें भी अधिक बार EAD रिन्यू करवाना पड़ेगा।
4. I-140 अप्रूवल और वीजा उपलब्धता के आधार पर AOS का इंतजार कर रहे कर्मचारी
इन सभी को नौकरी जारी रखने के लिए EAD रिन्यूअल पर निर्भर रहना होगा।
किन पर कोई असर नहीं?
- H-1B वीजा पर काम कर रहे भारतीय पेशेवरों पर फिलहाल कोई प्रभाव नहीं होगा।
उनके पास पहले से ही कंपनी स्पॉन्सर्ड वर्क ऑथराइजेशन मौजूद रहता है।
हालांकि, जो H-1B वीजा धारक ग्रीन कार्ड प्रक्रिया में हैं और AOS पर पहुंचे हैं, उन्हें अब बहुत पहले से EAD रिन्यू कराने की तैयारी करनी होगी।
क्या बदल जाएगा?
- पहले 5 साल के लिए मिलता था वर्क परमिट
- अब हर 18 महीने में रिन्यूअल ज़रूरी
- देरी होने पर नौकरी बंद होने का खतरा
- आवेदन और दस्तावेज़ीकरण का बोझ बढ़ेगा
निष्कर्ष
अमेरिकी सरकार का यह फैसला भारतीय वर्कर्स के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है। लंबित वीजा और ग्रीन कार्ड प्रक्रिया के चलते उनके सामने ज्यादा बार रिन्यूअल कराने की मजबूरी आएगी। नई नीति से नौकरी को लेकर अनिश्चितता बढ़ने का खतरा भी साफ दिख रहा है।
