Monday, December 8

कंबोडिया में F-16 जेट से भीषण हवाई हमला, ट्रंप का युद्धविराम समझौता 2 महीने भी नहीं टिक पाया, थाईलैंड ने अब क्यों छेड़ी जंग?

बैंकॉक/नोम पेन्ह:
थाईलैंड और कंबोडिया के बीच एक बार फिर युद्ध की स्थिति बन गई है, और इसके बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा किए गए मध्यस्थता प्रयासों का कोई असर नहीं पड़ा। दो महीने पहले, अक्टूबर में दोनों देशों के बीच युद्धविराम समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे, लेकिन अब हालात फिर से बिगड़ गए हैं। थाईलैंड ने कंबोडिया पर हवाई हमले शुरू कर दिए हैं, और दोनों देश एक-दूसरे पर युद्धविराम समझौते को तोड़ने का आरोप लगा रहे हैं।

स्ट्राइक के बाद युद्धविराम टूटने का खतरा
कंबोडिया और थाईलैंड के बीच जून में शुरू हुआ सीमा विवाद अब एक नए चरण में प्रवेश कर चुका है। दोनों देशों के बीच पहले गोलीबारी और फिर लड़ाई की एक लंबी कड़ी चली, जिसमें बड़ी संख्या में नागरिकों की मौत हुई और लाखों लोग बेघर हो गए। हालांकि, अक्टूबर में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की दखलंदाजी के बाद दोनों देशों के नेताओं ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, लेकिन अब दोबारा संघर्ष शुरू हो गया है।

सीमा विवाद से लेकर हवाई हमलों तक
28 मई 2025 को सीमा विवाद के बाद कंबोडिया और थाईलैंड के सैनिकों के बीच पहली गोलीबारी हुई थी, जिसमें कंबोडिया का एक सैनिक मारा गया था। इसके बाद 23 जुलाई 2025 को दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा, और थाईलैंड ने कंबोडिया से अपने राजदूत को वापस बुला लिया। फिर, 24 जुलाई को कंबोडिया ने आरोप लगाया कि थाईलैंड ने F-16 जेट का इस्तेमाल करते हुए कंबोडिया के सैन्य ठिकानों पर बमबारी की। इसके बाद दोनों देशों में युद्धविराम की बातचीत शुरू हुई, और अंत में, अक्टूबर में यह समझौता हुआ।

लेकिन 11 नवंबर 2025 को थाईलैंड ने दावा किया कि एक और लैंडमाइन विस्फोट में उसका एक सैनिक घायल हो गया। कंबोडिया ने इन आरोपों से इनकार किया, और 12 नवंबर को हुई गोलीबारी में कंबोडिया का एक नागरिक मारा गया। इसके बाद, 8 दिसंबर 2025 को थाईलैंड ने कंबोडिया के खिलाफ हवाई हमले शुरू कर दिए, और स्थिति फिर से युद्ध की ओर बढ़ गई।

विश्वास की कमी और असफल समझौते
यह घटनाक्रम साफ दर्शाता है कि दो देशों के बीच विश्वास की कमी युद्धविराम समझौतों को विफल बना सकती है, भले ही तीसरे देश द्वारा मध्यस्थता की जाए। अमेरिका, मलेशिया, और चीन ने दोनों पक्षों को शांतिपूर्वक बातचीत के लिए प्रेरित किया था, लेकिन युद्धविराम के बाद भी विवादित क्षेत्र में सैन्य गतिविधियां बढ़ती गईं।

कंबोडिया और थाईलैंड का संघर्ष
संघर्ष की शुरुआत 28 मई 2025 को हुई थी, जब सीमा पर हुई गोलीबारी में कंबोडिया के एक सैनिक की मौत हो गई थी। इसके बाद 23 जुलाई से 25 जुलाई 2025 तक सीमा पर भारी लड़ाई हुई। इस दौरान थाईलैंड ने F-16 जेटों से कंबोडिया के सैन्य ठिकानों पर हमला किया, जिससे कंबोडिया में भीषण तबाही मच गई। दोनों देशों ने एक-दूसरे पर युद्धविराम समझौते को तोड़ने का आरोप लगाया।

आखिरकार क्या होगा?
महीनों की कूटनीति, अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता और युद्धविराम समझौतों के बावजूद, थाईलैंड और कंबोडिया युद्ध के उसी बिंदु पर वापस लौट आए हैं, जहां से मई में सब कुछ शुरू हुआ था। यह घटनाक्रम यह भी दर्शाता है कि जब तक दो देशों के बीच वास्तविक विश्वास का निर्माण नहीं होता, तब तक युद्धविराम समझौते स्थायी नहीं रह सकते।

यह हालात इस बात को साबित करते हैं कि आपसी विश्वास की कमी और राष्ट्रीय हितों के टकराव के कारण किसी भी समझौते का टिक पाना मुश्किल हो सकता है, चाहे वह अमेरिका जैसा बड़ा देश ही क्यों न मध्यस्थता कर रहा हो।

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