
रियाद/अबू धाबी:
सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के बीच रिश्तों में पिछले कुछ समय से तनाव की स्थिति बन गई है। सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (MBS) और UAE के राष्ट्रपति मोहम्मद बिन जायद (MBZ) के बीच कभी बेहद मजबूत और गहरे संबंध थे, लेकिन अब इन दोनों देशों के बीच मतभेदों का एक नया दौर शुरू हो गया है। इन मतभेदों के केंद्र में सूडान संघर्ष और क्षेत्रीय रणनीतियों से लेकर तेल उत्पादन के विवाद तक कई मुद्दे हैं।
सूडान विवाद और सऊदी अरब की शिकायत
पिछले महीने, जब सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान अमेरिका के दौरे पर थे, तब उन्होंने यूएई के राष्ट्रपति मोहम्मद बिन जायद पर सूडान में संघर्ष को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। सऊदी क्राउन प्रिंस ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से शिकायत की थी कि यूएई सूडान में हथियारों की आपूर्ति कर रहा है, जिससे सूडान में हिंसा और हत्याओं का सिलसिला तेज हो गया है। दरअसल, अप्रैल 2023 में जब सूडान में गृह युद्ध शुरू हुआ था, तो सऊदी अरब ने सूडान की सरकारी सेना का समर्थन किया था, जबकि UAE ने सेना के विरोधी गुटों को मदद देना शुरू किया। इसके परिणामस्वरूप सूडान संघर्ष और भी जटिल और खतरनाक हो गया।
अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों का मानना है कि सूडान संघर्ष ने सऊदी अरब और UAE के बीच के रिश्तों में दरार को और गहरा कर दिया है।
पूर्व में मजबूत साझेदारी, अब तनाव
सऊदी अरब और UAE के संबंधों की शुरुआत बेहद मजबूत थी। 2015 में जब केवल 29 वर्ष की आयु में MBS ने सऊदी अरब के रक्षा मंत्री के रूप में जिम्मेदारी संभाली थी, तो UAE के राष्ट्रपति मोहम्मद बिन जायद ने उन्हें खाड़ी क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण और दूरदर्शी नेता माना था। दोनों देशों के बीच पहले से मजबूत गठजोड़ को और मजबूती मिली, खासकर जब दोनों देशों ने मिलकर यमन युद्ध में सैन्य कार्रवाई की।
हालांकि, समय के साथ ये रिश्ते थोड़े तनावपूर्ण होने लगे। यमन युद्ध जैसे मुद्दों ने इन मतभेदों को उभार दिया, जहां सऊदी अरब ने एकीकृत सरकार की बहाली के लिए संघर्ष किया, वहीं UAE ने दक्षिणी अलगाववादी गुट साउदर्न ट्रांजिक्शनल काउंसिल का समर्थन किया। यही नहीं, दोनों देशों के बीच ओपेक (OPEC) में भी मतभेद बढ़ने लगे। 2021 में UAE ने तेल उत्पादन में वृद्धि करने का समर्थन किया, जबकि सऊदी अरब तेल उत्पादन में कटौती चाहता था।
विजन-2030 और विजन-2031: क्षेत्रीय प्रभुत्व की जंग
सऊदी अरब और UAE दोनों ही अपने-अपने राष्ट्रीय विकास लक्ष्यों पर काम कर रहे हैं। जहां सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान “विजन 2030” के तहत सऊदी अरब को तेल पर निर्भरता से मुक्त करना चाहते हैं और नए निवेश की ओर बढ़ रहे हैं, वहीं UAE भी “विजन 2031” के तहत अपनी स्थिति को मजबूत करने की कोशिश कर रहा है। दोनों देशों के पास अपनी विकास योजनाओं और रणनीतियों को लेकर अलग-अलग दृष्टिकोण हैं, जिससे क्षेत्रीय प्रभुत्व की लड़ाई तेज हो गई है।
क्या दोनों देशों के बीच युद्ध का खतरा है?
अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों के अनुसार, फिलहाल दोनों देशों के बीच युद्ध की संभावना नहीं है। दोनों ही देश जानते हैं कि युद्ध का परिणाम उनके लिए कितना विनाशकारी हो सकता है। हालांकि, डिप्लोमैटिक तनाव जरूर बढ़ सकते हैं, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि दोनों देशों के नेताओं को यह समझ है कि युद्ध से कोई फायदा नहीं होगा।
इसलिए, जब तक कोई बड़ा अप्रत्याशित घटनाक्रम न हो, तब तक दोनों देशों के बीच संघर्ष केवल क्षेत्रीय और वैश्विक प्रभाव को बढ़ाने के लिए रणनीतिक रूप से होगा, न कि युद्ध के रूप में।
