Wednesday, December 31

साइकिल पर पानी ढोने वाला बच्चा बना ‘वॉटर हीरो’, IAS नागार्जुन गौड़ा ने खंडवा में रची जल क्रांति

 

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मध्यप्रदेश का खंडवा जिला आज देशभर के लिए जल संरक्षण की एक मिसाल बन चुका है। राष्ट्रीय जल पुरस्कार से सम्मानित खंडवा की यह उपलब्धि किसी एक योजना की नहीं, बल्कि उस सोच की जीत है, जिसकी जड़ें एक बच्चे के संघर्ष भरे बचपन में छिपी हैं। इस बदलाव के सूत्रधार हैं जिला पंचायत के सीईओ और 2019 बैच के IAS अधिकारी डॉ. नागार्जुन बी. गौड़ा।

 

कर्नाटक के सूखाग्रस्त इलाके में जन्मे नागार्जुन गौड़ा ने बचपन में पानी की किल्लत को बेहद करीब से देखा। यही अनुभव आगे चलकर उनके जीवन का मिशन बन गया—हर गांव तक पानी, हर घर तक जल सुरक्षा।

 

पानी के लिए साइकिल से तय करते थे लंबा सफर

 

IAS नागार्जुन गौड़ा का जन्म 5 मई 1992 को कर्नाटक के तुमकुरु जिले के एक छोटे गांव में हुआ। उनके माता-पिता शिक्षक हैं। गांव में पानी की इतनी कमी थी कि बचपन में उन्हें साइकिल से दूर स्थित बोरवेल तक जाना पड़ता था।

वे बताते हैं, “कई बार 10 मिनट तक बोरवेल का लीवर खींचने के बाद मुश्किल से एक-दो बाल्टी पानी मिलता था।”

यही संघर्ष उनके भीतर जल संरक्षण के प्रति संवेदनशीलता और जिम्मेदारी पैदा कर गया।

 

खंडवा को दिलाया राष्ट्रीय पहचान

 

डॉक्टरी की पढ़ाई के बाद नागार्जुन गौड़ा ने UPSC परीक्षा पास की और IAS अधिकारी बने। मध्यप्रदेश कैडर मिलने के बाद जब वे खंडवा में जिला पंचायत सीईओ बने, तो उन्होंने ‘जल संचय, जन भागीदारी (JSJB)’ अभियान को एक जन आंदोलन का रूप दे दिया।

 

इस अभियान के तहत ग्रामीण कर्मचारियों, अधिकारियों, किसानों, स्कूलों और आम नागरिकों को वर्षा जल संचयन से जोड़ा गया। नतीजा यह रहा कि जिले में 1.25 लाख से अधिक जल संरक्षण कार्य किए गए, जिनमें रूफटॉप रेन वॉटर हार्वेस्टिंग, रिचार्ज पिट और ट्रेंच जैसे 40 हजार से ज्यादा संरचनात्मक काम शामिल हैं।

 

इसी ऐतिहासिक प्रयास के चलते खंडवा को ‘सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाला जिला’ घोषित किया गया और 2 करोड़ रुपये का राष्ट्रीय जल पुरस्कार मिला।

 

राष्ट्रपति से लिया पुरस्कार, भावुक हुए IAS अधिकारी

 

18 नवंबर 2025 को दिल्ली में राष्ट्रपति से पुरस्कार ग्रहण करते हुए IAS नागार्जुन गौड़ा ने कहा था,

“जब ‘जल संचय, जन भागीदारी’ योजना शुरू हुई, तो यह मेरे लिए सिर्फ एक सरकारी कार्यक्रम नहीं, बल्कि निजी मिशन बन गया।”

 

पत्नी भी हैं IAS अधिकारी

 

नागार्जुन गौड़ा की पत्नी सृष्टि जयंत देशमुख भी IAS अधिकारी हैं और UPSC की टॉप रैंकर्स में शामिल रह चुकी हैं। दोनों की जोड़ी प्रशासनिक सेवा में प्रेरणा का प्रतीक मानी जाती है।

 

AI तस्वीरों पर उठा विवाद, प्रशासन ने दी सफाई

 

हाल ही में राष्ट्रीय जल पुरस्कार को लेकर AI-जनरेटेड तस्वीरों का मुद्दा सामने आया, जिस पर सोशल मीडिया पर सवाल उठे। इस पर खंडवा जिला प्रशासन ने स्पष्ट किया कि JSJB अवार्ड के मूल्यांकन में केवल वास्तविक तस्वीरों का ही उपयोग हुआ था।

‘कैच द रेन’ पोर्टल पर कुछ AI तस्वीरें केवल शैक्षणिक उद्देश्य से डाली गई थीं, जिनका पुरस्कार से कोई संबंध नहीं है। प्रशासन ने गलत खबरों का खंडन भी किया है।

 

संघर्ष से समाधान तक की कहानी

 

नागार्जुन गौड़ा की कहानी सिर्फ एक अफसर की सफलता नहीं, बल्कि उस बच्चे की जीत है, जिसने कभी साइकिल पर पानी ढोया था और आज पूरे जिले को जल संकट से उबारने में जुटा है। खंडवा की जल क्रांति यह साबित करती है कि जब अनुभव, संवेदना और प्रशासनिक इच्छाशक्ति एक साथ आती है, तो बदलाव संभव होता है।

 

 

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