Tuesday, December 30

आयुर्वेदिक डॉक्टर ने बताया गुड़ से दवा बनाने का तरीका, पेशाब खुलकर आए और मल का चिपचिपापन बंद

 

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गुड़ सिर्फ स्वादिष्ट नहीं, बल्कि सेहत के लिए भी बेहद लाभकारी है। गन्ने के रस से बनने वाला यह प्राकृतिक उत्पाद आयरन, मैग्नीशियम और अन्य खनिजों से भरपूर होता है। आयुर्वेद में गुड़ को स्वास्थ्यवर्धक माना गया है और इसे कई बीमारियों में राहत देने वाला माना जाता है।

 

डॉक्टर मिहिर खत्री के अनुसार गुड़ को दवा की तरह भी इस्तेमाल किया जा सकता है। आयुर्वेद में चार प्रमुख अवस्थाओं के अनुसार गुड़ का उपयोग अलग-अलग औषधियों के साथ करने पर लाभकारी साबित होता है:

 

  1. आम अवस्था:

सुबह उठते ही शरीर में जकड़न, चेहरे की सूजन और मल में चिपचिपापन जैसी समस्याओं में गुड़ को सोंठ के साथ लेने की सलाह दी जाती है।

 

  1. अजीर्ण अवस्था:

पेट में भारीपन, अपच या भोजन ठीक से न पचने की समस्या में गुड़ को पिपली चूर्ण के साथ लेना फायदेमंद होता है।

 

  1. मूत्र कृच्छ:

पेशाब रुक-रुककर आने या ठीक से न निकलने की समस्या में गुड़ को जीरे के साथ लेने से राहत मिलती है।

 

  1. अर्श (बवासीर):

बवासीर की समस्या में गुड़ को हरड़ पाउडर (अभ्या चूर्ण) के साथ लेने से लाभ मिलता है।

 

उपयोग करने का तरीका:

थोड़ा मुलायम देसी गुड़ लें और अपनी स्थिति के अनुसार दूसरी औषधि के साथ मिलाएं। इसे अच्छी तरह कूटकर छोटी-छोटी गोली बना लें। प्रत्येक गोली सुबह और शाम खाली पेट गुनगुने पानी के साथ लें। जरूरत पड़ने पर दिन में 2-3 बार भी लिया जा सकता है।

 

डिस्क्लेमर:

यह जानकारी इंस्टाग्राम रील और इंटरनेट स्रोतों पर आधारित है। नवभारतटाइम्स इसकी सत्यता और असर की जिम्मेदारी नहीं लेता। किसी भी नुस्खे को आजमाने से पहले विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।

 

 

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