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पाकिस्तान में सत्ता संग्राम: असीम मुनीर की CDF ताजपोशी पर नवाज शरीफ का बड़ा ब्रेक, नोटिफिकेशन के बदले रख दी कड़ी शर्तें

विवेक सिंह | नवभारत टाइम्स | 4 दिसंबर 2025

इस्लामाबाद: पाकिस्तान में हाल ही में बनाए गए चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज (CDF) पद को लेकर तीखा सत्ता संघर्ष खुलकर सामने आ गया है। सेना प्रमुख फील्ड मार्शल असीम मुनीर देश के पहले CDF बनने के लिए पूरी तरह तैयार बैठे थे, लेकिन उनके सामने सबसे बड़ा अवरोध बनकर खड़े हो गए हैं पाकिस्तान के तीन बार प्रधानमंत्री रह चुके मियां नवाज शरीफ

29 नवंबर को होना था नोटिफिकेशन, लेकिन ‘पेंच’ फंस गया

सूत्रों के अनुसार, 29 नवंबर को असीम मुनीर को CDF नियुक्त करने का नोटिफिकेशन जारी होना था। तारीख तय हो चुकी थी और तमाम औपचारिकताएँ पूरी कर ली गई थीं।
लेकिन अचानक खेल बदल गया —
नोटिफिकेशन आज तक जारी नहीं हुआ है।
कहा जा रहा है कि इसके पीछे नवाज शरीफ की कड़ी शर्तें हैं, जिनके बिना वे CDF नियुक्ति पर राज़ी नहीं हैं।

नवाज शरीफ क्यों बने ‘सबसे बड़ा रोड़ा’?

प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ पहले लंदन गए और लौटकर भी सीधे इस्लामाबाद नहीं आए, बल्कि लाहौर में रुक गए। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि इस पूरे ‘सर्कस’ के मास्टरमाइंड नवाज शरीफ ही हैं।
पूर्व सैन्य अधिकारी आदिल राजा का दावा है कि नवाज शरीफ ने मुनीर का नोटिफिकेशन रोककर उनके सामने बड़ी शर्तें रख दी हैं।

नवाज शरीफ की मुख्य मांग — DG ISI की कुर्सी वापस मिले

आदिल राजा के अनुसार नवाज शरीफ चाहते हैं कि:

  • रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल नदीम अंजुम को दोबारा DG-ISI बनाया जाए।
    अंजुम 2024 तक DG-ISI रह चुके हैं।
    नवाज शरीफ का तर्क है कि 1989 में ले. जनरल शम्सुर्रहमान कल्लू को रिटायरमेंट के बाद बेनजीर भुट्टो ने DG-ISI नियुक्त किया था।
    यानी मिसाल उनके पास मौजूद है।

दो फोर-स्टार जनरल नियुक्त करने की अतिरिक्त शर्त

नवाज शरीफ ने सिर्फ DG-ISI की मांग नहीं की है—
उन्होंने साफ कहा है कि:

  • चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (COAS)
  • और नेशनल कमांड अथॉरिटी (NCA)
    इन दोनों शक्तिशाली पदों पर भी उनकी पसंद के अधिकारियों को नियुक्त किया जाए।

नवाज का लक्ष्य — चौथी बार प्रधानमंत्री की कुर्सी?

आदिल राजा का दावा है कि नवाज शरीफ खुद चौथी बार PM बनने के लिए रणनीति बना रहे हैं
कई कोर कमांडर और वरिष्ठ सैन्य अधिकारी भी नवाज के संपर्क में बताए जा रहे हैं, जो असीम मुनीर की मुश्किलें और बढ़ाता है।

असीम मुनीर फंस गए हैं ‘सियासी जाल’ में

विश्लेषकों का कहना है कि:

  • नवाज शरीफ की शर्तें मानना सेना प्रमुख के लिए बड़ा चुनौतीपूर्ण होगा।
  • अगर मुनीर मानते हैं तो संस्थागत संतुलन बदल जाएगा।
  • अगर नहीं मानते, तो CDF की ताजपोशी अनिश्चितकाल के लिए टल सकती है।

पाकिस्तान की राजनीति और सेना के बीच यह टकराव अब निर्णायक मोड़ पर पहुँच चुका है।
अब सबकी नजर इस बात पर है कि असीम मुनीर इस संकट से निकलने के लिए कौन सा रास्ता चुनते हैं।

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