
धीरेंद्र सिंह, लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानमंडल का शीतकालीन सत्र 15 दिसंबर के बाद शुरू होने की संभावना है। इसके लिए तैयारियां पहले ही शुरू हो गई हैं। यह सत्र छोटा जरूर होगा, लेकिन महत्व के दृष्टिकोण से अहम माना जा रहा है। पंचायत चुनाव से पहले होने वाला यह सत्र कई मुद्दों पर सरकार और विपक्ष के बीच बहस का केंद्र बनेगा।
सत्र की अवधि और उद्देश्य
जानकारी के मुताबिक, पिछले साल का शीतकालीन सत्र 16 दिसंबर को शुरू हुआ था और चार दिन चला था। इस बार भी सत्र लगभग 4 से 5 दिन तक चलने की संभावना है। योगी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल की विभिन्न योजनाओं, विकास कार्यों और उपलब्धियों को सदन में प्रस्तुत करने की तैयारी कर रही है। इसके अलावा हाल में जारी किए गए कई महत्वपूर्ण अध्यादेशों को विधेयक के रूप में पेश कर उन्हें कानून का रूप देने की योजना भी है।
मुख्य मुद्दों पर रहेगा फोकस
सत्र में ग्रामीण विकास, स्वच्छ पेयजल, आवास, सड़क निर्माण जैसी बुनियादी सुविधाओं को प्राथमिकता दी जाएगी। पंचायत चुनाव की पृष्ठभूमि में सरकार अनुपूरक बजट पेश कर सकती है। परंपरा के अनुसार सत्र का पहला दिन दिवंगत जनप्रतिनिधियों को श्रद्धांजलि देने के साथ शोक प्रस्ताव के रूप में शुरू होगा। मऊ जिले की घोसी विधानसभा सीट के सपा विधायक सुधाकर सिंह के 20 नवंबर को निधन के बाद पहले दिन शोक प्रस्ताव के बाद सत्र स्थगित किए जाने की संभावना है।
विपक्ष की तैयारी और हंगामेदार सत्र की संभावना
विपक्ष इस बार भी शीतकालीन सत्र को हंगामेदार बनाने की पूरी रणनीति तैयार कर चुका है। SIR, कानून-व्यवस्था, बेरोजगारी, महंगाई, किसानों की समस्याएं, महिलाओं की सुरक्षा और हाल की विवादित घटनाओं को लेकर विपक्ष सत्ता पक्ष पर दबाव बनाने की योजना बना रहा है।
अधिसूचना जारी होने की प्रक्रिया
सत्र के बुलाने के लिए कैबिनेट की मंजूरी के बाद राज्यपाल की अनुमति से आधिकारिक अधिसूचना जारी की जाएगी।