
नई दिल्ली / जोहानिसबर्ग: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को दक्षिण अफ्रीका के जोहानिसबर्ग में IBSA (भारत-ब्राजील-दक्षिण अफ्रीका) शिखर सम्मेलन में साफ संदेश दिया कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में सुधार अब विकल्प नहीं, बल्कि अनिवार्यता है। उन्होंने आतंकवाद-निरोध पर गहरे तालमेल और दोहरे मानदंडों की नीतियों के खात्मे पर भी जोर दिया।
मोदी ने कहा कि भारत की स्थायी सदस्यता को व्यापक समर्थन प्राप्त है, लेकिन कुछ देशों को यह पसंद नहीं, जिन्हें ‘कॉफी क्लब’ कहा जाता है। इस समूह में इटली, पाकिस्तान, दक्षिण कोरिया, मेक्सिको और अर्जेंटीना शामिल हैं, जो UNSC के विस्तार का विरोध करते हैं।
UNSC की संरचना और भारत की चुनौती
- सुरक्षा परिषद में कुल 15 सदस्य हैं: 5 स्थायी (P-5) और 10 अस्थायी सदस्य।
- P-5 में शामिल हैं अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन और फ्रांस, जिन्हें वीटो शक्ति प्राप्त है।
- स्थायी सदस्यता द्वितीय विश्व युद्ध के विजेताओं को दी गई थी, जिसका समय के साथ आलोचना का विषय बना।
G-4 देशों का अभियान:
- G-4 में भारत, ब्राजील, जर्मनी और जापान शामिल हैं।
- ये चारों देश सुरक्षा परिषद की संख्या 15 से बढ़ाकर 25 करने के पक्षधर हैं, जिसमें 6 नई स्थायी सीटें होंगी।
- G-4 देशों का लक्ष्य है ग्लोबल साउथ की ताकत और क्षेत्रीय आवाज़ को बढ़ाना।
विरोध का सामना कर रहा भारत
- स्थायी सदस्यता के विरोध का सबसे बड़ा समूह कॉफी क्लब है।
- पाकिस्तान और कुछ अन्य देश वर्तमान संरचना को बनाए रखना चाहते हैं क्योंकि इसे वे अपने लिए फायदेमंद मानते हैं।
- P-5 देश स्थिति तय करने में महत्वपूर्ण हैं, लेकिन विस्तार का विरोध उन देशों से भी आता है जो अपने प्रभाव को बनाए रखना चाहते हैं।
भारत के लिए रणनीतिक महत्व
- भारत के लिए स्थायी सदस्यता केवल प्रतिष्ठा का मामला नहीं, बल्कि वैश्विक आतंकवाद और सुरक्षा नीति में निर्णायक भूमिका निभाने का जरिया भी है।
- उदाहरण: चीन और पाकिस्तान ने अक्सर भारत के प्रस्तावों को रोककर मसूद अजहर सहित आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई में बाधा डाली।
- स्थायी सीट मिलने पर भारत को आतंकवाद, वैश्विक सुरक्षा और विकास के मुद्दों पर सीधा और प्रभावी अधिकार मिलेगा।
वैश्विक समर्थन
- हाल ही में फ्रांस, रूस, भूटान और मॉरीशस ने भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन किया।
- रूस ने स्पष्ट किया कि वह भारत और ब्राजील के आवेदन के पक्ष में है।
- G-4 और समर्थक देशों के साथ मिलकर भारत UNSC सुधार की दिशा में मजबूती से आगे बढ़ रहा है।
निष्कर्ष:
भारत का UNSC में स्थायी सदस्य बनने का प्रयास केवल कूटनीतिक महत्व नहीं रखता, बल्कि यह वैश्विक निर्णय प्रक्रिया में भारत की भागीदारी और सुरक्षा हितों को मजबूती प्रदान करेगा। भारत, IBSA और G-4 के माध्यम से अपने प्रस्ताव को व्यापक समर्थन दिलाने की रणनीति पर काम कर रहा है, जबकि पाकिस्तान और अन्य विरोधी देशों के प्रयास इसे रोकने का प्रयास कर रहे हैं।