
भुवनेश्वर: बिहार विधानसभा चुनावों में जेडीयू-बीजेपी गठबंधन की ऐतिहासिक जीत के बाद केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान एक बार फिर राजनीतिक चर्चाओं के केंद्र में हैं। बिहार में चुनावी रणनीति की सफलता के बाद जैसे ही वह ओडिशा पहुंचे, भुवनेश्वर एयरपोर्ट पर उनका भव्य स्वागत किया गया। इसके साथ ही सियासी गलियारों में कयास तेज हो गए हैं कि बीजेपी ने नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए उनका नाम लगभग तय कर लिया है।
56 वर्षीय धर्मेंद्र प्रधान शुरू से ही अध्यक्ष पद की रेस में सबसे आगे माने जा रहे हैं। बिहार में उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह की रणनीति को जमीन पर उतारकर न केवल शानदार जीत दिलाई, बल्कि बंगाल के लिए भी पार्टी के पक्ष में मजबूत माहौल तैयार किया है। यही वजह है कि संगठन में उन्हें नए ‘चाणक्य’ के रूप में देखा जा रहा है।
क्यों धर्मेंद्र प्रधान सबसे मजबूत दावेदार?
- एबीवीपी से राजनीति की शुरुआत कर भाजपा तक का सफर तय करने वाले प्रधान युवा विंग भाजयुमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं।
- मात्र 36 वर्ष की आयु में 2005-07 तक उन्होंने युवा मोर्चा का नेतृत्व किया था।
- चुनाव प्रभारी के तौर पर उनका रिकॉर्ड लगातार प्रभावशाली रहा है।
- ओबीसी वर्ग से आने के कारण पार्टी के सामाजिक समीकरण को भी मजबूती मिलती है।
सूत्रों के अनुसार, अध्यक्ष पद की दौड़ में महाराष्ट्र के नेता विनोद तावड़े का नाम भी शामिल है, लेकिन उम्र और ताज़ा राजनीतिक सफलता के लिहाज से प्रधान कहीं अधिक आगे दिखाई दे रहे हैं।
धर्मेंद्र प्रधान ने क्या कहा?
ओडिशा पहुंचने पर मिले अभूतपूर्व स्वागत के बाद प्रधान ने सोशल मीडिया पर लिखा—
“प्यार और आशीर्वाद के लिए धन्यवाद। भगवान सभी के जीवन में मंगल करें।”
बिहार जीत के बाद वह पुरी श्रीमंदिर में दर्शन के लिए भी पहुंचे, जहां उन्होंने जीत का श्रेय जनता और कार्यकर्ताओं के समर्पण को दिया।
फिलहाल वह मोदी सरकार में केंद्रीय शिक्षा मंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।
इतिहासिक उपलब्धि के कगार पर
अगर धर्मेंद्र प्रधान बीजेपी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष बनते हैं, तो वह पार्टी के इतिहास में तीसरे ऐसे नेता होंगे, जिन्होंने युवा मोर्चा से राष्ट्रीय नेतृत्व तक का सफर तय किया होगा। इससे पहले राजनाथ सिंह और जेपी नड्डा यह उपलब्धि हासिल कर चुके हैं।
राजनाथ सिंह 37 वर्ष की आयु में भाजयुमो प्रमुख बने थे, जबकि वर्तमान अध्यक्ष जेपी नड्डा को पार्टी की कमान लंबा कार्यकाल मिला है। युवा मोर्चा के पहले अध्यक्ष कलराज मिश्रा थे, वहीं उमा भारती ने भी 35 साल की उम्र में यह जिम्मेदारी संभाली थी।
निष्कर्ष:
ओडिशा में धर्मेंद्र प्रधान के भव्य स्वागत के बाद राजनीतिक संकेत साफ हैं—बिहार की जीत ने उनके कद में जबरदस्त इजाफा किया है। अब निगाहें बीजेपी के अगले बड़े फैसले पर टिकी हैं कि क्या पार्टी वास्तव में युवा नेतृत्व पर दांव लगाएगी और धर्मेंद्र प्रधान को नई जिम्मेदारी सौंपेगी।