
जालोर। मरुस्थलीय राजस्थान अब समुद्री व्यापार की दुनिया में नया इतिहास रचने जा रहा है। सड़क और एयर कनेक्टिविटी के बाद अब प्रदेश को समुद्र का रास्ता भी मिलने वाला है। जालोर जिले में देश का पहला इनलैंड सी पोर्ट बनाया जा रहा है, जो सीधे कांडला पोर्ट और आगे अरब सागर से जुड़ जाएगा। यह 262 किलोमीटर लंबा जलमार्ग सिर्फ एक परियोजना नहीं, बल्कि राजस्थान की औद्योगिक क्रांति 2.0 का प्रारंभ माना जा रहा है। इस मेगा प्रोजेक्ट पर 10 हजार करोड़ रुपए से अधिक खर्च प्रस्तावित है।
जालोर से अरब सागर तक ‘वाटर कॉरिडोर’ — बदल जाएगा उद्योगों का भूगोल
इस महत्वाकांक्षी परियोजना के तहत कच्छ की खाड़ी के माध्यम से जहाज़ सीधे जालोर तक पहुंच सकेंगे। जलमार्ग के विकसित होते ही राजस्थान समुद्री रास्तों से जुड़कर देश के प्रमुख लॉजिस्टिक हब की श्रेणी में शामिल हो जाएगा।
सरकारी सूत्रों के अनुसार—
“यह वॉटर कॉरिडोर राजस्थान को लॉजिस्टिक पावरहाउस में बदलने की क्षमता रखता है।”
जल–मार्ग बनने के बाद प्रदेश के उद्योगों, कृषि उत्पादों और खनन क्षेत्र को वैश्विक बाजारों तक पहुंचने में नई रफ्तार मिलेगी।
मुंबई में हुआ ऐतिहासिक एमओयू—शुरू हुई समुद्री सपनों की यात्रा
हाल ही में मुंबई में आयोजित इंडिया मैरीटाइम वीक 2025 के दौरान राजस्थान रिवर बेसिन एवं जल संसाधन आयोजना प्राधिकरण और इंडियन इनलैंड वॉटरवेज अथॉरिटी (IWAI) के बीच एक ऐतिहासिक एमओयू हुआ। इसके तहत—
- गुजरात–राजस्थान में व्यापक ड्रेजिंग
- 262 किलोमीटर लंबा जलमार्ग
- जालोर तक जहाज़ों का सुचारू आवागमन
इन कार्यों पर 10 हजार करोड़ रुपए से अधिक खर्च होगा।
कांडला पोर्ट से सीधा कनेक्शन—राजस्थान बनेगा इंटरनेशनल ट्रेड हब
अब तक समुद्र तक माल पहुंचाने में ट्रकों को कई दिन लग जाते हैं। लेकिन प्रोजेक्ट पूरा होने पर—
- भारी कंटेनर सीधे जालोर तक पहुंच सकेंगे
- परिवहन लागत में 30–40% तक कमी आएगी
- सड़क और रेल पर दबाव घटेगा
- किसानों और उद्योगों को सीधा निर्यात मार्ग मिलेगा
भवातरा–नवलखी–कांडला क्रीक को सबसे उपयुक्त मार्ग माना गया है।
आईआईटी मद्रास कर रहा हाई–टेक सर्वे, जल्द आएगी विशेषज्ञ टीम
जल संसाधन मंत्री सुरेश सिंह रावत ने जानकारी दी कि विस्तृत DPR तैयार करने का कार्य तेज हो चुका है। इसमें शामिल हैं—
- सालभर पानी की उपलब्धता का आकलन
- भूमि अधिग्रहण
- तकनीकी–संरचनात्मक अध्ययन
- फील्ड सर्वे
आईआईटी मद्रास, IWAI और राजस्थान जल संसाधन विभाग मिलकर परियोजना को तकनीकी मजबूती दे रहे हैं।
जालोर बनेगा ‘लॉजिस्टिक्स कैपिटल’, बड़े उद्योगों को नई गति
लूनी–जवाई क्षेत्र पहले से ही महत्वपूर्ण ट्रेड ज़ोन है। यहां—
- पत्थर उद्योग
- कपड़ा उद्योग
- कृषि उत्पाद
- तेल–बीज
- पास में रिफाइनरी प्रोजेक्ट
सब मौजूद हैं। अब समुद्री कनेक्टिविटी मिलने के बाद—
- बड़े औद्योगिक क्लस्टर विकसित होंगे
- कोल्ड स्टोरेज, वेयरहाउसिंग, पोर्ट सर्विसेज का विस्तार
- राष्ट्रीय–अंतरराष्ट्रीय निवेशकों की एंट्री
- प्रदेश की अर्थव्यवस्था को नई उड़ान मिलेगी
50 हजार से ज़्यादा रोजगार—मरु प्रदेश में नई आर्थिक लहर
WAPCOS की प्री-फिजिबिलिटी रिपोर्ट के अनुसार—
- 50,000 से अधिक रोजगार सीधा–अप्रत्यक्ष रूप से उत्पन्न होंगे
- व्यापारिक गतिविधियों में कई गुना वृद्धि होगी
- युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर खुलेंगे
राजस्थान—अब सिर्फ मरु प्रदेश नहीं, ‘मैरीटाइम प्रदेश’ बनने की ओर
देश में पहली बार किसी लैंडलॉक्ड स्टेट में इतने बड़े पैमाने पर इनलैंड सी पोर्ट बनाया जा रहा है।
यह प्रोजेक्ट आने वाले दशक में राजस्थान को—
- औद्योगिक
- आर्थिक
- लॉजिस्टिक
तीनों क्षेत्रों में नई ऊंचाइयों तक ले जाने की क्षमता रखता है।