
नई दिल्ली, संवाददाता: दिल्ली के स्कूलों में पहली कक्षा (Class-1) में प्रवेश के लिए बच्चों की न्यूनतम आयु 6 साल तय करने के सरकार के सर्कुलर पर दिल्ली हाईकोर्ट ने सख्त सवाल उठाए हैं। यह मामला पेरेंट्स और छात्रों दोनों के लिए चिंता का विषय बन गया है, क्योंकि नई आयु सीमा के कारण कई नुकसान सामने आ सकते हैं।
दिल्ली हाईकोर्ट की बैंच, जिनकी अध्यक्षता चीफ जस्टिस डी.के. उपाध्याय कर रहे हैं, ने दिल्ली सरकार को 13 दिन में जवाब देने का नोटिस जारी किया है। सुनवाई 26 नवंबर के लिए तय की गई है।
6 साल आयु सीमा से संभावित नुकसान
- अतिरिक्त प्री-स्कूल खर्च: पहली कक्षा में एडमिशन के लिए प्री-स्कूल में एक और साल पढ़ाई करना अनिवार्य हो जाएगा। इससे पेरेंट्स को अतिरिक्त फीस का बोझ उठाना पड़ेगा।
- सीट्स की कमी और एडमिशन में मुश्किल: सीधे पहली कक्षा में एडमिशन लेना मुश्किल होगा क्योंकि सीमित सीटें हैं।
- पहले से पढ़ रहे छात्रों पर असर: जिन बच्चों को वर्तमान शैक्षणिक वर्ष में पहली कक्षा में प्रमोट होना था, उन्हें नए नियम के अनुसार फिर से प्री-स्कूल में दाखिला लेना पड़ सकता है।
- आर्थिक दबाव: प्राइवेट स्कूलों की फीस को देखते हुए पेरेंट्स पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ बढ़ेगा। वर्तमान में तिमाही फीस लगभग 60,000 रुपये, सालाना लगभग 2.40 लाख रुपये है।
याचिका में सुझाव
- नर्सरी क्लास की न्यूनतम आयु 3 साल से बढ़ाकर 4 साल, प्री-स्कूल 1 के लिए 4 साल, प्री-स्कूल 2 के लिए 5 साल और कक्षा 1 के लिए 6 साल निर्धारित की जाए।
- नई आयु सीमा शैक्षणिक वर्ष 2026-2027 से लागू हो, ताकि वर्तमान छात्रों और पेरेंट्स को अनावश्यक परेशानी न हो।
याचिका में कहा गया है कि वर्तमान सर्कुलर के कारण न केवल एडमिशन प्रक्रिया प्रभावित होगी, बल्कि स्कूल क्लासेस खाली रह सकती हैं और पेरेंट्स पर वित्तीय दबाव भी बढ़ेगा।
दिल्ली हाईकोर्ट अब इस मामले में सरकार से स्पष्ट जवाब का इंतजार कर रहा है।