
गया (आशुतोष कुमार पांडेय): केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने एक बार फिर बिहार में शराबबंदी कानून को लेकर विवादित बयान दिया है। मांझी ने कहा कि शराबबंदी की असली परीक्षा तब होगी जब वरिष्ठ अधिकारियों और शराब माफिया के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बिहार सरकार से आग्रह किया कि गुजरात मॉडल की तरह शराब पीने में छूट देने की सुविधा बिहार में भी लागू हो।
मांझी ने स्वीकार किया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की शराबबंदी की मंशा सही थी, लेकिन इसके कार्यान्वयन पर उन्होंने गंभीर चिंता जताई। उनके अनुसार वर्तमान कानून मुख्यतः गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को निशाना बनाता है, जबकि असली अपराधी सुरक्षित रहते हैं।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि शराबबंदी कानून के तहत जेल में बंद लोगों में से 50 प्रतिशत से अधिक गरीब और कमजोर वर्ग से हैं। उन्होंने कहा कि छोटे अपराधियों को पकड़ना और आंकड़ों का प्रचार करना आत्म-प्रशंसा के समान है, जबकि बड़े अपराधी स्वतंत्र रहते हैं।
गुजरात मॉडल का सुझाव:
मांझी ने कहा कि बिहार को शराबबंदी के लिए व्यावहारिक और प्रभावी दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। इससे आम जनता को अनावश्यक परेशानियों से बचाया जा सकेगा और शराबबंदी का उद्देश्य भी पूरा होगा।
बांग्लादेश पर चिंता:
इसके अलावा, मांझी ने बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के खिलाफ बढ़ती हिंसा पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि वहां की अंतरिम सरकार को अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। भारत सरकार ने इस मुद्दे पर स्पष्ट रुख अपनाया है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से दबाव डालने की अपील की है।
केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी के तेवर और उनके सुझाव इस बात को उजागर करते हैं कि शराबबंदी कानून का प्रभाव और निष्पक्षता दोनों पर ध्यान देना जरूरी है।