
भारत ने हाल ही में INS अरिघात से K-4 पनडुब्बी लॉन्च बैलिस्टिक मिसाइल (SLBM) का सफल परीक्षण कर पूरी दुनिया को अपनी समुद्री परमाणु शक्ति का अहसास कराया है। यह मिसाइल करीब 3,500 किलोमीटर की रेंज और दो टन तक के वारहेड क्षमता के साथ, भारत को सुरक्षित दूरी से सेकंड स्ट्राइक क्षमता देती है।
पाकिस्तान की चिंता
पूर्व ब्रिगेडियर और पाकिस्तान की नेशनल कमांड अथॉरिटी के रणनीतिक प्लान्स डिवीजन के आर्म्स कंट्रोल एडवाइजर डॉ. जाहिर काजमी ने K-4 मिसाइल के परीक्षण को पाकिस्तान के लिए गंभीर खतरा बताया है। उनका कहना है कि यह मिसाइल भारत को समुद्र में से परमाणु हमला करने की ताकत देती है, जिससे नई दिल्ली पारंपरिक स्तर पर ज्यादा आक्रामक कदम उठाने से नहीं हिचकेगी।
डॉ. काजमी ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि भारत की यह क्षमता नौसेना आधारित परमाणु छतरी (quasi-continuous at-sea deterrence) को और मजबूत कर रही है। उन्होंने बताया कि भारत 2030 तक 6 परमाणु-संचालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियां (SSBNs) और 6 परमाणु हमलावर पनडुब्बियां (SSNs) तैनात करने की योजना पर काम कर रहा है।
K-4 मिसाइल की ताकत
रेंज: लगभग 3,500 किलोमीटर, जिससे भारत बंगाल की खाड़ी से पाकिस्तान और चीन के बड़े हिस्सों को निशाना बना सकता है।
वारहेड: परमाणु या पारंपरिक, वजन 2 टन तक।
लॉन्च तकनीक: दो चरणों में ठोस ईंधन, तेज़ी से लॉन्च।
सटीकता: एडवांस्ड इनर्शियल गाइडेंस + NavIC/GPS, CEP 10 मीटर से कम।
डिज़ाइन: अरिहंत-क्लास SSBNs के लिए, 17–20 टन वजनी, 12 मीटर लंबी।
रणनीतिक महत्व: सेकंड स्ट्राइक क्षमता बढ़ाकर भारत की न्यूक्लियर ट्रायड मजबूत।
पाकिस्तान पर संभावित प्रभाव
डॉ. काजमी के अनुसार, भारत की इस नई क्षमता से पाकिस्तान अब सुरक्षा और रणनीतिक स्तर पर लगातार दबाव में रहेगा। K-4 मिसाइल की मौजूदगी हिंद महासागर क्षेत्र में पाकिस्तान की पनडुब्बी गतिविधियों और सुरक्षा रणनीतियों के लिए चुनौतीपूर्ण साबित होगी।
उन्होंने यह भी बताया कि भारत की बढ़ती समुद्री ताकत और क्वाड देशों के साथ सहयोग पाकिस्तान के लिए चिंता का विषय है। यह मिसाइल पाकिस्तान को पारंपरिक लड़ाई में भारत की ज्यादा आक्रामक रणनीति का अनुमान लगाने पर मजबूर करती है।
निष्कर्ष
K-4 मिसाइल भारत की समुद्री परमाणु शक्ति और सेकंड स्ट्राइक क्षमता का नया प्रतीक बन चुकी है। इसके परीक्षण ने क्षेत्रीय सुरक्षा समीकरणों को बदल दिया है और पाकिस्तान की रणनीतिक चिंताओं को और बढ़ा दिया है। भारत अब हिंद महासागर में अपनी सामरिक स्थिति को और मजबूत कर रहा है, जिससे क्षेत्रीय ताकतों पर दबाव और बढ़ सकता है।