
रोहतास।
बिहार के कैमूर पहाड़ियों में स्थित ऐतिहासिक रोहतासगढ़ में निर्माणाधीन रोपवे परियोजना की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। रोहतास नगर पंचायत को रोहितेश्वर धाम से जोड़ने वाले बहुप्रतीक्षित रोपवे का ऊपरी स्टेशन और उससे जुड़ा मुख्य टावर परीक्षण के दौरान अचानक ढह गया, जिससे एक बड़ा हादसा होते-होते बच गया।
हादसे के दौरान रोपवे के चार केबिन और सहायक खंभे जमीन पर गिर पड़े। हालांकि मौके पर मौजूद तकनीशियन और कर्मचारी सतर्कता दिखाते हुए समय रहते सुरक्षित बाहर निकल गए, जिससे किसी प्रकार की जनहानि नहीं हुई।
उच्च स्तरीय जांच समिति गठित
घटना को गंभीरता से लेते हुए बिहार राज्य पुल निर्माण निगम लिमिटेड (बीआरपीएएनएल) के निदेशक के निर्देश पर अध्यक्ष की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय जांच समिति का गठन किया गया है। समिति को 24 घंटे के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है।
इसके साथ ही आईआईटी पटना की विशेषज्ञ टीम द्वारा परियोजना के डिजाइन और निर्माण गुणवत्ता का विस्तृत ऑडिट कराने के आदेश भी दिए गए हैं।
स्थानीय लोगों में आक्रोश
रोपवे टावर गिरने की सूचना मिलते ही बड़ी संख्या में स्थानीय लोग घटनास्थल पर पहुंच गए। इलाके में दहशत का माहौल बन गया। लोगों ने निर्माण कार्य में लापरवाही, घटिया सामग्री और निगरानी की कमी का आरोप लगाते हुए कड़ा विरोध दर्ज कराया।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि जब परीक्षण के दौरान केवल चार केबिनों का भार ही टावर नहीं संभाल सका, तो भविष्य में 12 केबिनों के संचालन के दौरान यात्रियों की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित होगी, यह गंभीर चिंता का विषय है। कई लोगों ने इस घटना को जनविश्वास के साथ खिलवाड़ बताया।
पहले भी हो चुकी है ऐसी घटना
यह घटना इसलिए भी चिंताजनक है क्योंकि जनवरी 2025 में इसी क्षेत्र में सोन नदी पर बन रहे बिहार–झारखंड संपर्क पुल के खंभे गिरने के बाद उसका निर्माण कार्य रोकना पड़ा था। लगातार हो रही इन घटनाओं ने सरकारी परियोजनाओं की गुणवत्ता और निगरानी व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
अभियंता का पक्ष
बीआरपीएएनएल के वरिष्ठ अभियंता खुर्शीद करीम ने बताया कि दुर्घटना के समय रोपवे का परीक्षण चल रहा था। भार बढ़ाने के दौरान एक तार के फंस जाने से संरचना असंतुलित हो गई, जिससे टावर ढह गया।
उन्होंने कहा कि परियोजना के कुछ हिस्से अभी अधूरे हैं और उन्हें चरणबद्ध तरीके से पूरा किया जा रहा है। कोलकाता से एक तकनीकी टीम क्षति का आकलन करने और सुधारात्मक उपाय सुझाने के लिए मौके पर पहुंचेगी।
उन्होंने आश्वासन दिया कि परीक्षण पूरी तरह संतोषजनक होने तक रोपवे को जनता के लिए नहीं खोला जाएगा और पुनर्निर्माण का खर्च निर्माण कंपनी स्वयं वहन करेगी।
जनप्रतिनिधियों ने की जांच की मांग
पूर्व मुखिया संतोष कुमार भोला ने इस घटना को रोहतास नगर पंचायत के लिए दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि क्षेत्र बाल-बाल एक बड़ी त्रासदी से बचा है। उन्होंने निर्माण कार्य की उच्च स्तरीय जांच, जिम्मेदारों की पहचान और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की।
छह साल में भी पूरी नहीं हुई परियोजना
करीब 13 करोड़ रुपये की लागत से बन रही 1,300 मीटर लंबी रोपवे परियोजना की आधारशिला 12 फरवरी 2020 को रखी गई थी। इसका उद्देश्य रोहतासगढ़ किले और आसपास के धार्मिक स्थलों तक पर्यटकों और श्रद्धालुओं की आसान पहुंच सुनिश्चित करना था।
छह वर्ष बीतने के बावजूद परियोजना अब तक पूरी नहीं हो सकी है। हाल ही में कंपनी को 31 दिसंबर तक कार्य पूरा करने की अंतिम समय-सीमा दी गई थी।