Friday, December 26

कौन हैं दिनेश खटीक? ‘श्रापित भूमि’ बयान से उठा सियासी तूफान, अब दी सफाई

 

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मेरठ। उत्तर प्रदेश के जलशक्ति राज्यमंत्री दिनेश खटीक इन दिनों अपने एक बयान को लेकर सियासी सुर्खियों में हैं। हस्तिनापुर विधानसभा क्षेत्र को ‘श्रापित भूमि’ कहे जाने के बाद न सिर्फ राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई, बल्कि क्षेत्र की जनता की भावनाओं को लेकर भी बहस तेज हो गई। विवाद गहराने पर अब मंत्री ने सोशल मीडिया के माध्यम से विस्तृत स्पष्टीकरण जारी किया है और अपने बयान को संदर्भ से जोड़ते हुए ऐतिहासिक और पौराणिक दृष्टि से समझाने का प्रयास किया है।

 

हस्तिनापुर से दो बार विधायक, योगी सरकार में मंत्री

 

दिनेश खटीक हस्तिनापुर विधानसभा सीट से लगातार दो बार विधायक चुने जा चुके हैं। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने बसपा प्रत्याशी योगेश वर्मा को 36,062 मतों से पराजित किया था। वहीं 2022 में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार योगेश वर्मा को 7,312 मतों के अंतर से हराकर दूसरी बार जीत दर्ज की। इसके बाद उन्हें योगी सरकार 2.0 में जलशक्ति राज्य मंत्री बनाया गया।

 

दिनेश खटीक का जन्म 11 अगस्त 1977 को मेरठ में हुआ। वे मवाना थाना क्षेत्र के फलावदा कस्बे के निवासी हैं। उनका परिवार लंबे समय से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ा रहा है और वे स्वयं भी संघ के कार्यकर्ता रह चुके हैं। उनके परिवार में एक पुत्र और एक पुत्री हैं। उनके भाई नितिन खटीक जिला पंचायत सदस्य भी रह चुके हैं।

 

कैसे शुरू हुआ विवाद

 

बुधवार को खरखौदा क्षेत्र के एक स्कूल कार्यक्रम में संबोधन के दौरान दिनेश खटीक ने कहा कि हस्तिनापुर ‘श्रापित भूमि’ है और वह अब तीसरी बार यहां से चुनाव नहीं लड़ना चाहते। यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल होते ही राजनीतिक प्रतिक्रियाओं का दौर शुरू हो गया। विपक्ष ने इसे क्षेत्र की जनता का अपमान बताया, जबकि भाजपा के भीतर संभावित दावेदारों में हलचल देखी गई।

 

पूर्व विधायक का तीखा हमला

 

हस्तिनापुर के पूर्व विधायक गोपाल काली ने दिनेश खटीक के बयान पर कड़ा विरोध दर्ज कराया। उन्होंने कहा कि हस्तिनापुर को श्रापित बताकर लाखों लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाई गई है। उन्होंने सवाल उठाया कि यदि यह भूमि श्रापित थी तो दिनेश खटीक ने यहां से दो बार चुनाव क्यों लड़ा और अपनी बहन को नगर पंचायत अध्यक्ष का चुनाव क्यों लड़वाया। गोपाल काली ने आरोप लगाया कि आगामी चुनाव में हार के डर से मंत्री क्षेत्र बदलने की जमीन तैयार कर रहे हैं।

 

भाजपा दावेदारों में बढ़ी हलचल

 

मंत्री के तीसरी बार चुनाव न लड़ने के संकेत के बाद भाजपा के कई संभावित दावेदार सक्रिय हो गए हैं। हालांकि पार्टी नेतृत्व ने फिलहाल इस पर संयम बरतने को कहा है। भाजपा जिलाध्यक्ष हरवीर पाल ने बयान पर टिप्पणी करने से बचते हुए कहा कि दिनेश खटीक पार्टी के सम्मानित नेता हैं और यह उनकी निजी राय हो सकती है।

 

मंत्री का स्पष्टीकरण: ‘बयान को गलत संदर्भ में लिया गया’

 

विवाद बढ़ने के बाद दिनेश खटीक ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लंबा पोस्ट साझा किया। उन्होंने कहा कि हस्तिनापुर की धरती उनके लिए सदैव पूजनीय रही है। स्कूल कार्यक्रम में बच्चों द्वारा प्रस्तुत महाभारत कालीन द्रौपदी चीरहरण के मंचन से वे भावुक हो गए थे। उसी संदर्भ में उन्होंने हस्तिनापुर की धरती को पौराणिक मान्यताओं के आधार पर ‘श्रापित’ कहा था।

 

उन्होंने स्पष्ट किया कि द्रौपदी ने सभा में मौन रहने वालों को श्राप दिया था और उसी ऐतिहासिक घटना का उल्लेख उनके बयान का आधार था। उनका उद्देश्य किसी की भावना को ठेस पहुंचाना नहीं था। उन्होंने कहा कि मीडिया में उनके बयान को संदर्भ से अलग कर प्रस्तुत किया गया है।

 

हस्तिनापुर मेरी कर्मभूमि: खटीक

 

राज्यमंत्री ने कहा कि हस्तिनापुर उनकी कर्मभूमि है और यहां की जनता के प्रति उनकी निष्ठा अटूट है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में हस्तिनापुर ने विकास के नए आयाम छुए हैं।

 

विकास कार्यों से बनाई पहचान

 

अपने कार्यकाल के दौरान दिनेश खटीक ने खादर क्षेत्र को बाढ़ से बचाने के लिए लगभग 18 करोड़ रुपये की परियोजनाएं स्वीकृत कराईं। हस्तिनापुर में राजकीय बालिका डिग्री कॉलेज का निर्माण, श्री मालीपुर गौआश्रय स्थल की स्थापना जैसे कार्य उनकी उपलब्धियों में शामिल हैं। उन्होंने हस्तिनापुर को चंडीगढ़ की तर्ज पर विकसित करने का सपना भी सार्वजनिक मंचों से रखा है।

 

सियासी संदेश साफ

 

दिनेश खटीक के बयान ने भले ही राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया हो, लेकिन यह मामला अब पौराणिक आस्था, राजनीतिक रणनीति और आगामी चुनावी समीकरणों के बीच एक बड़े विमर्श का रूप ले चुका है। आने वाले समय में यह विवाद हस्तिनापुर की राजनीति को किस दिशा में ले जाएगा, इस पर सबकी नजरें टिकी हैं।

 

 

 

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