
नई दिल्ली।
हर साल लाखों भारतीय छात्र मेडिकल की पढ़ाई का सपना लेकर विदेशों का रुख करते हैं। सीमित सीटों और महंगी फीस के कारण रूस भारतीय छात्रों के लिए MBBS की पढ़ाई का बड़ा केंद्र बन चुका है। कम फीस और आसान दाखिले की वजह से हजारों छात्र रूस की मेडिकल यूनिवर्सिटियों में पढ़ रहे हैं, लेकिन अब यह सपना कई परिवारों के लिए डरावना बनता जा रहा है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, रूस में 30 हजार से अधिक भारतीय छात्र पढ़ाई कर रहे हैं, जिनमें से लगभग 90 प्रतिशत मेडिकल छात्र हैं। लेकिन हाल के महीनों में सामने आई घटनाओं ने यह साफ कर दिया है कि रूस में पढ़ाई करने से पहले छात्रों को कॉलेज और फीस से ज्यादा अपनी सुरक्षा और कानूनी स्थिति पर ध्यान देना जरूरी है।
पढ़ाई के बहाने बुलाया, फिर सेना में भेजा
रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच कई भारतीय छात्रों को जबरन रूसी सेना में भर्ती किए जाने के गंभीर मामले सामने आए हैं। विदेश मंत्रालय के मुताबिक,
202 भारतीय नागरिकों को रूसी सेना में भर्ती किया गया,
जिसमें से 26 की मौत हो चुकी है, जबकि 7 अब भी लापता हैं।
इनमें कई छात्र ऐसे थे जो स्टूडेंट वीजा पर मेडिकल या लैंग्वेज कोर्स के लिए रूस गए थे। आरोप है कि कुछ एजेंटों ने छात्रों को धोखे में रखा, तो कुछ मामलों में झूठे ड्रग केस या कानूनी ब्लैकमेल के जरिए उन्हें सेना में शामिल होने पर मजबूर किया गया।
तमिलनाडु से राजस्थान तक डराने वाली कहानियां
तमिलनाडु के 22 वर्षीय किशोर सरवनन, जो वोल्गोग्राड स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी में MBBS के थर्ड ईयर के छात्र थे, को कथित तौर पर झूठे ड्रग केस में फंसाकर सेना में भर्ती कर लिया गया। युद्ध क्षेत्र से भेजे गए उनके वॉइस मैसेज ने पूरे देश को झकझोर दिया।
राजस्थान के बीकानेर निवासी अजय गोडारा, जो मेडिकल पढ़ने रूस गए थे, उनकी भी सेना में भर्ती के बाद युद्ध में मौत हो गई। उन्होंने परिवार को भेजे वीडियो में बताया था कि उन्हें किचन ड्यूटी के नाम पर बुलाया गया, लेकिन जबरन सेना में शामिल कर लिया गया।
गुजरात के मोरबी निवासी साहिल मोहम्मद हुसैन, जो रूस में भाषा कोर्स करने गए थे, उन्हें भी झूठे केस में फंसाकर सेना में शामिल होने का दबाव डाला गया। बाद में वे यूक्रेन की सेना के कब्जे में आ गए और भारत सरकार से मदद की गुहार लगाई।
सरकार अलर्ट, छात्रों से सावधानी की अपील
भारत सरकार ने रूस के साथ बातचीत शुरू की है और फंसे हुए नागरिकों को वापस लाने के प्रयास किए जा रहे हैं। साथ ही विदेश मंत्रालय ने छात्रों और उनके परिवारों को फर्जी एजेंटों से बचने, वीजा नियमों का सख्ती से पालन करने और किसी भी संदिग्ध स्थिति में भारतीय दूतावास से संपर्क करने की सलाह दी है।
MBBS के सपने से पहले सुरक्षा जरूरी
रूस में मेडिकल की पढ़ाई सस्ती हो सकती है, लेकिन मौजूदा हालात में यह जोखिम से खाली नहीं है। विशेषज्ञों का कहना है कि छात्र केवल कॉलेज की रैंकिंग और फीस देखकर फैसला न लें, बल्कि
कानूनी सुरक्षा
वीजा नियम
एजेंट की विश्वसनीयता
स्थानीय हालात
इन सभी पहलुओं की गहन जांच करें।
क्योंकि एक गलत फैसला, पढ़ाई का सपना नहीं—पूरी ज़िंदगी छीन सकता है।