Thursday, December 25

कट्टरपंथियों के दबाव में मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार, कैबिनेट में इस्तीफों की झड़ी, कुर्सी पर मंडराया संकट

 

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ढाका।

बांग्लादेश में फरवरी 2026 में प्रस्तावित आम चुनाव से पहले मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार गंभीर राजनीतिक संकट में फंसती दिख रही है। यूनुस प्रशासन से एक के बाद एक सलाहकारों और अधिकारियों के इस्तीफों ने सरकार की स्थिरता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। ताजा झटका तब लगा, जब गृह मामलों से जुड़े राज्य मंत्री स्तर के अधिकारी खोदा बख्श चौधरी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। राष्ट्रपति ने उनका इस्तीफा औपचारिक रूप से स्वीकार कर लिया है।

 

सरकारी हलकों में साफ कहा जा रहा है कि यह इस्तीफा किसी प्रशासनिक या नैतिक कारण से नहीं, बल्कि कट्टरपंथी संगठनों के दबाव का नतीजा है। इससे यह संकेत मिलता है कि यूनुस सरकार की राजनीतिक पकड़ तेजी से कमजोर हो रही है।

 

हत्या के बाद बढ़ा दबाव, सड़कों पर उतरे कट्टरपंथी

 

कट्टरपंथी नेता शरीफ उस्मान हादी की हत्या के बाद यूनुस प्रशासन के खिलाफ असंतोष खुलकर सामने आ गया। इस मामले में गिरफ्तारी और जवाबदेही को लेकर कट्टरपंथी संगठनों ने आंदोलन की धमकी दी।

हादी से जुड़े संगठन ‘इंकलाब मंच’ के सचिव अब्दुल्ला अल जाबेर ने गृह सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) मोहम्मद जहांगीर आलम चौधरी के इस्तीफे की मांग करते हुए 24 घंटे का अल्टीमेटम तक दे दिया।

 

हालांकि गृह सलाहकार अब भी अपने पद पर बने हुए हैं, लेकिन उनके अधीनस्थ अधिकारी का इस्तीफा यह दिखाता है कि यूनुस प्रशासन बड़े चेहरों को बचाने के लिए छोटे अधिकारियों की बलि दे रहा है।

 

कैबिनेट में पहले से दरार

 

यह पहला मामला नहीं है। मोहम्मद यूनुस का प्रशासन पहले ही कई अहम इस्तीफे झेल चुका है—

 

  • छात्र नेता और सलाहकार नाहिद इस्लाम ने 2025 की शुरुआत में सलाहकार परिषद छोड़ी।

  • सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सलाहकार महफूज आलम ने 10 दिसंबर को इस्तीफा दिया।

  • स्थानीय सरकार, ग्रामीण विकास और सहकारिता मंत्रालय के सलाहकार आसिफ महमूद शोजीब भुइयां ने भी 10 दिसंबर को पद छोड़ दिया।

 

इन लगातार इस्तीफों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अंतरिम सरकार भीतर से कमजोर पड़ती जा रही है।

 

बीएनपी का दबाव और बढ़ती अस्थिरता

 

दूसरी ओर, बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) ने हाल के हफ्तों में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के इस्तीफे की खुली मांग कर दी है। इससे यह संकेत मिल रहा है कि राजनीतिक दल अब अंतरिम सरकार की वैधता और क्षमता पर सवाल उठाने लगे हैं।

 

कुछ इस्तीफों को चुनावी रणनीति से भी जोड़ा जा रहा है। माना जा रहा है कि यूनुस प्रशासन में शामिल कुछ सलाहकार फरवरी 2026 के चुनाव में खुद उतरने की तैयारी कर रहे हैं, इसलिए आने वाले दिनों में और इस्तीफे हो सकते हैं।

 

संरक्षण अब बोझ बनता दिख रहा

 

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि मोहम्मद यूनुस ने जिन कट्टरपंथी ताकतों को अब तक नजरअंदाज या परोक्ष संरक्षण दिया, वही ताकतें अब उनकी सरकार को अंदर से खोखला कर रही हैं।

अगर यही सिलसिला जारी रहा, तो बांग्लादेश में सिर्फ सरकार ही नहीं, पूरी चुनावी प्रक्रिया और आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था खतरे में पड़ सकती है।

 

निष्कर्ष

 

मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार फिलहाल कट्टरपंथी दबाव, राजनीतिक अस्थिरता और प्रशासनिक भगदड़—तीनों से एक साथ जूझ रही है। इस्तीफों की यह श्रृंखला इस बात का संकेत है कि सरकार की कुर्सी डगमगाने लगी है।

अब सवाल यह नहीं रह गया है कि अगला इस्तीफा कौन देगा, बल्कि यह है कि क्या यूनुस सरकार फरवरी 2026 तक खुद को संभाल पाएगी, या बांग्लादेश एक बार फिर अराजकता की ओर बढ़ेगा।

 

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