
नई दिल्ली: लीबिया की नेशनल आर्मी के चीफ मुहम्मद अली अहमद अल-हद्दाद की तुर्की में प्लेन क्रैश में मौत ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। यह हादसा पाकिस्तान और लीबिया के बीच साढ़े चार अरब डॉलर की आर्म्स डील के तुरंत बाद हुआ, जिससे यह आशंका बढ़ गई है कि कहीं यह केवल दुर्घटना नहीं, बल्कि बड़ी अंतरराष्ट्रीय साजिश का हिस्सा तो नहीं।
पाकिस्तान-लीबिया आर्म्स डील:
पाकिस्तान ने गुपचुप तरीके से लीबियाई नेशनल आर्मी के साथ अब तक का सबसे बड़ा हथियार सौदा किया। इस डील में चीन में बने हथियार शामिल हैं, जो पाकिस्तान के माध्यम से लीबिया को भेजे गए। फील्ड मार्शल असीम मुनीर स्वयं पूर्वी लीबियाई शहर बेनगाजी पहुंचे थे, यह दिखाने के लिए कि डील कितनी अहम है।
अंतरराष्ट्रीय चिंता:
इस डील को लेकर कई देशों में चिंता है कि लीबिया के हाथों में पाकिस्तानी हथियार पहुंचने का मतलब है कि ये हिजबुल्लाह, हमास और अन्य अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठनों तक आसानी से पहुँच सकते हैं। ऐसे संगठन इजरायल और अन्य देशों के लिए सुरक्षा चुनौती बने हुए हैं।
पाकिस्तान में विरोध:
पाकिस्तान में भी यह डील विवादों में है। बलूचिस्तान के नेता इस सौदे के विरोध में हैं और उनका डर है कि पाकिस्तान धीरे-धीरे इसी तरह हथियार और संभवतः परमाणु तकनीक अन्य देशों तक पहुंचा सकता है।
हादसा या साजिश?
तुर्की में हुआ प्लेन क्रैश कई सवाल छोड़ गया है। पाकिस्तान के पास इतनी क्षमता नहीं है कि वह अकेले इतना बड़ा हथियार सौदा कर सके। इससे चीन की भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है, जो अपने हथियार अंतरराष्ट्रीय संघर्ष क्षेत्रों में पहुँचाने के लिए पाकिस्तान का इस्तेमाल कर सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि लीबिया के नेशनल आर्मी चीफ की मौत और आर्म्स डील के बीच का समय इस पूरे मामले को और भी जटिल और संवेदनशील बनाता है।