
ब्रिटेन में भारतीय डॉक्टर्स की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। NHS में काम कर रहे भारतीय हेल्थ प्रोफेशनल्स का कहना है कि उन्हें अत्यधिक काम करना पड़ता है, जबकि सैलरी बेहद कम है। ऐसे में कई डॉक्टर्स बेहतर अवसरों की तलाश में ब्रिटेन छोड़ रहे हैं।
सरकार की कड़ी इमिग्रेशन नीतियां, उच्च कॉम्पिटिशन और PLAB टेस्ट की शर्तें उन्हें निराश कर रही हैं। संसद के शीतकालीन सत्र के आंकड़ों के अनुसार, ‘हेल्थ एंड केयर वर्कर वीजा’ में भारतीयों को जारी किए जाने वाले वीजा में लगभग 67% की गिरावट आई है।
सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. राजय नारायण का कहना है कि ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और मिडिल-ईस्ट के देशों में डॉक्टर्स को बेहतर सैलरी, कम टैक्स और स्थायी रहने का विकल्प मिलने के कारण कई भारतीय हेल्थ प्रोफेशनल्स ब्रिटेन छोड़ रहे हैं।
रेडियोलॉजिस्ट डॉ. संजय गांधी ने बताया कि PLAB टेस्ट पास करने के बाद भी जॉब पाना कठिन है। क्लिनिकल अटैचमेंट और रेजिडेंट डॉक्टर की वैकेंसी के लिए सैकड़ों आवेदन होते हैं, जिससे योग्य डॉक्टर्स को नौकरी पाने में दिक्कतें बढ़ रही हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि ब्रिटेन में मेडिकल करियर बनाने वाले भारतीय छात्रों को अब पूर्व की अपेक्षा ज्यादा चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।