
नई दिल्ली।
दुनिया की दिग्गज टेक कंपनी गूगल में अमेरिका स्थित दफ्तरों में काम कर रहे कर्मचारियों के लिए बड़ी राहत और खुशखबरी सामने आई है। कंपनी वर्ष 2026 से अपने योग्य कर्मचारियों के लिए ग्रीन कार्ड स्पॉन्सरशिप की प्रक्रिया दोबारा शुरू करने जा रही है। इसका सीधा लाभ हजारों भारतीय प्रोफेशनल्स को मिल सकता है, जो फिलहाल गूगल में मैनेजमेंट और टेक्निकल पदों पर कार्यरत हैं।
PERM प्रोग्राम के तहत तेज होगी प्रक्रिया
बिजनेस इनसाइडर की रिपोर्ट के अनुसार, गूगल ने अपने कर्मचारियों को भेजे गए एक आंतरिक मेमो में जानकारी दी है कि कंपनी यूएस परमानेंट लेबर सर्टिफिकेशन (PERM) प्रोग्राम के तहत ग्रीन कार्ड आवेदन प्रक्रिया को तेज करेगी।
PERM, अमेरिका में वर्क वीजा पर काम कर रहे विदेशी कर्मचारियों के लिए परमानेंट रेजिडेंसी (PR) पाने की दिशा में पहला और अहम कदम होता है।
कंपनी ने बताया है कि 2026 की पहली तिमाही में गूगल के कानूनी सलाहकार स्वयं योग्य कर्मचारियों से संपर्क करेंगे।
इन कर्मचारियों को मिलेगी ग्रीन कार्ड स्पॉन्सरशिप
मेमो में स्पष्ट किया गया है कि ग्रीन कार्ड स्पॉन्सरशिप उन्हीं कर्मचारियों को दी जाएगी—
- जिनका कार्य ऐसा है, जिसके लिए डिग्री या पूर्व कार्य अनुभव अनिवार्य हो
- जो ऑफिस से काम (On-site Work) कर रहे हों
- रिमोट वर्क करने वाले कर्मचारियों को तब तक पात्र नहीं माना जाएगा, जब तक वे गूगल ऑफिस जॉइन नहीं करते
परफॉर्मेंस और जॉब लेवल भी होगा अहम
गूगल ने स्पॉन्सरशिप को कर्मचारियों की परफॉर्मेंस रेटिंग और जॉब लेवल से भी जोड़ा है।
- लेवल-3 या उससे नीचे के कर्मचारियों की पात्रता की संभावना कम होगी
- जिन कर्मचारियों का कंपनी के साथ कार्य संबंध संतोषजनक नहीं है, उन पर विचार नहीं किया जाएगा
- PERM के लिए पात्र होने हेतु MI (Moderेट इम्पैक्ट) या उससे अधिक परफॉर्मेंस रेटिंग अनिवार्य होगी
PERM क्यों है जरूरी?
PERM प्रक्रिया के तहत कंपनी को अमेरिकी प्रशासन को यह साबित करना होता है कि संबंधित पद के लिए कोई योग्य अमेरिकी नागरिक उपलब्ध नहीं है। इसी आधार पर विदेशी कर्मचारी को ग्रीन कार्ड के लिए स्पॉन्सर किया जाता है।
यह प्रक्रिया आमतौर पर H-1B वीजा पर काम कर रहे टेक प्रोफेशनल्स के लिए अपनाई जाती है, जिससे उन्हें अमेरिका में स्थायी रूप से रहने और काम करने की अनुमति मिलती है।
भारतीय कर्मचारियों के लिए बड़ी उम्मीद
विशेषज्ञों का मानना है कि गूगल का यह कदम अमेरिका में काम कर रहे भारतीय आईटी पेशेवरों के लिए करियर और स्थायित्व की दिशा में एक बड़ा अवसर साबित हो सकता है।