
नई दिल्ली: गणित के क्षेत्र में भारत का नाम रोशन करने वाले श्रीनिवास रामानुजन का योगदान आज भी दुनियाभर में सराहा जाता है। 22 दिसंबर 1887 को तमिलनाडु में जन्मे रामानुजन ने महज 33 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया, लेकिन उनकी गणितीय खोजें आज भी वैज्ञानिकों के लिए चुनौती और प्रेरणा बनी हुई हैं।
भारत सरकार ने उनके योगदान को देखते हुए 2012 में 22 दिसंबर को राष्ट्रीय गणित दिवस घोषित किया। इस दिन का उद्देश्य गणित के महत्व के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाना है।
अद्भुत गणितीय प्रतिभा
रामानुजन ने बिना किसी औपचारिक कोचिंग के दुनिया को 3900 से अधिक गणितीय सूत्र, प्रमेय और अनंत श्रृंखलाएं दीं। सिर्फ 12 साल की उम्र में उन्होंने त्रिकोणमिति में महारत हासिल कर ली थी। स्कूल में वे गणित में टॉपर थे, लेकिन अन्य विषयों में कभी-कभी असफल भी रहते थे।
AI और कंप्यूटर विज्ञान में योगदान
आधुनिक युग में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग की नींव रामानुजन के गणितीय सूत्रों पर टिकी है। उनकी अनंत श्रृंखलाओं और π (पाई) की गणनाओं ने सुपरकंप्यूटर, डेटा साइंस, साइबर सिक्योरिटी और एल्गोरिदम डिजाइन को संभव बनाया।
एक रिपोर्ट के अनुसार, उनके सूत्रों का इस्तेमाल कर तेज और सटीक कंप्यूटेशनल अल्गोरिदम विकसित किया गया। आज के डिजिटल युग में ग्राफ नेटवर्क डिजाइन, डेटा कम्युनिकेशन और AI-आधारित ऑप्टिमाइजेशन में रामानुजन के गणितीय सूत्र कारगर साबित हो रहे हैं।
रामानुजन नोट्स: आज भी खोज का विषय
1976 में ट्रिनिटी कॉलेज की लाइब्रेरी में रामानुजन की पुरानी नोटबुक मिली, जिसे बाद में “रामानुजन नोट्स” के नाम से जाना गया। इस नोटबुक में लिखे कई प्रमेय और सूत्र आज भी वैज्ञानिकों द्वारा समझने और हल खोजने का विषय बने हुए हैं।
संक्षिप्त जीवन परिचय
जन्म: 22 दिसंबर 1887, तमिलनाडु
निधन: 26 अप्रैल 1920, केवल 33 साल की उम्र में टीबी से
उपलब्धियां: 3900+ गणितीय सूत्र, अनंत श्रृंखला और प्रमेय
महत्व: AI, मशीन लर्निंग, कंप्यूटर विज्ञान और आधुनिक गणित में योगदान
रामानुजन की कहानी न केवल गणितज्ञों के लिए, बल्कि हर युवा के लिए प्रेरणा है, जो सीमाओं को तोड़कर दुनिया में नाम करना चाहता है।
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