
राजस्थान की सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर जिगीषा जोशी, जिन्हें लोग मेवाड़ी बाई के नाम से जानते हैं, ने अरावली पर्वत श्रृंखला को लेकर एक वीडियो जारी किया है। यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है और बड़ी संख्या में लोग उनका समर्थन कर रहे हैं। वीडियो के सामने आने के बाद अरावली संरक्षण का मुद्दा एक बार फिर चर्चा में आ गया है।
अरावली की नई परिभाषा बनी विवाद की जड़
हाल के दिनों में अरावली पर्वतमाला को लेकर विवाद ने तूल पकड़ा है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की उस परिभाषा को स्वीकार किया है, जिसमें केवल 100 मीटर या उससे अधिक ऊंचाई वाली भूमि को ही अरावली क्षेत्र माना गया है। इससे लगभग 90 प्रतिशत अरावली पहाड़ियों की कानूनी सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है। पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि इससे खनन, निर्माण और अतिक्रमण का खतरा बढ़ जाएगा।
विशेषज्ञों और नेताओं की चिंता
पर्यावरण विशेषज्ञ और कई जनप्रतिनिधि इस नई परिभाषा को गंभीर खतरा मान रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इसे “अरावली की मौत की साक्षरता” बताया और नई परिभाषा को पर्यावरण के लिए खतरनाक करार दिया। उन्होंने ‘सेव अरावली’ अभियान का समर्थन करते हुए जनता से इस मुद्दे पर जागरूक रहने की अपील की।
अरावली का महत्व
अरावली पर्वतमाला उत्तरी भारत के पर्यावरणीय संतुलन में अहम भूमिका निभाती है। यह भूजल रिचार्ज, धूल नियंत्रण और रेगिस्तान के विस्तार को रोकने में महत्वपूर्ण योगदान देती है। विशेषज्ञों के अनुसार नई परिभाषा के कारण कम ऊंचाई वाले क्षेत्र सबसे अधिक जोखिम में होंगे।
जनता में बढ़ रही सक्रियता
सोशल मीडिया पर आम लोग और पर्यावरण कार्यकर्ता सक्रिय हो गए हैं। ‘मेवाड़ी बाई’ का वीडियो इस बहस को और तेज कर रहा है और जनता में अरावली संरक्षण के लिए समर्थन जुटा रहा है।