
नई दिल्ली: पेंशन फंड रेगुलेटर PFRDA ने नैशनल पेंशन सिस्टम (NPS) के नियमों में बड़े बदलाव किए हैं, जो नौकरीपेशा और रिटायर होने वाले लोगों के लिए राहत और सुविधा लेकर आए हैं। अब NPS सब्सक्राइबर 85 साल की उम्र तक योजना में रह सकते हैं और अपनी जमा राशि पर लोन भी ले सकते हैं।
1. अधिकतम उम्र बढ़ी
पहले NPS में बने रहने की अधिकतम उम्र 75 साल थी, अब इसे 85 साल तक बढ़ा दिया गया है। इससे लोग लंबे समय तक अपनी पेंशन फंड का निवेश बनाए रख सकते हैं।
2. पेंशन के लिए फंड फंसाना अब सिर्फ 20%
एन्युटी खरीदने के लिए अब सिर्फ 20% फंड इस्तेमाल करना होगा। इससे पहले यह सीमा 40% थी। इसका मतलब है कि अब आपके हाथ में ज्यादा नकद रहेगा।
3. 8 लाख तक फंड होने पर पूरी राशि निकालें
अगर आपके NPS फंड में कुल जमा राशि 8 लाख रुपये या उससे कम है, तो आप इसे एकमुश्त निकाल सकते हैं। सरकारी कर्मचारियों के लिए यह 40% एन्युटी खरीदने का विकल्प है, जबकि प्राइवेट कर्मचारियों को न्यूनतम 20% फंड से एन्युटी खरीदनी होगी।
4. सिस्टमैटिक यूनिट रिडेम्पशन (SUR)
अब पैसा निकालने का नया तरीका SUR (सिस्टमैटिक यूनिट रिडेम्पशन) लागू किया गया है। यह म्यूचुअल फंड के SWP जैसा है। जिनका फंड 8 से 12 लाख रुपये के बीच है, वे 6 लाख रुपये तक एकमुश्त निकाल सकते हैं और बाकी राशि 6 साल तक किस्तों में ले सकते हैं।
5. 60 साल से पहले निकासी
अब 60 साल की उम्र या रिटायरमेंट से पहले चार बार निकासी की अनुमति है। पहले यह सीमा केवल तीन बार थी। निकासी के बीच कम से कम 4 साल का अंतर होना चाहिए।
6. 60 साल या रिटायरमेंट के बाद निकासी
60 साल या रिटायरमेंट के बाद भी NPS में बने रहने वाले लोग अपने जमा किए पैसे का 25% तक निकाल सकते हैं। दो निकासी के बीच कम से कम 3 साल का अंतर होना आवश्यक है।
7. नागरिकता छोड़ने पर पूरा पैसा निकाले
अगर कोई सब्सक्राइबर भारत की नागरिकता छोड़ देता है, तो वह अपना पूरा फंड एकमुश्त निकाल सकता है।
8. लापता या मृत होने पर राहत
अगर सब्सक्राइबर लापता हो जाता है या मृत माना जाता है, तो उसके नॉमिनी/कानूनी वारिस को कुल जमा फंड का 20% तुरंत दिया जाएगा, बाकी 80% निवेशित रहेगा।
9. लोन की सुविधा
अब आप एनपीएस अकाउंट को गिरवी रखकर बैंक से लोन ले सकते हैं।
10. हर अकाउंट की अलग पहचान
‘परमानेंट रिटायरमेंट अकाउंट’ के बजाय अब इसे ‘इंडिविजुअल पेंशन अकाउंट’ कहा जाएगा।
निष्कर्ष: ये बदलाव NPS को और आकर्षक बनाते हैं। अब निवेशक लंबे समय तक फंड में बने रह सकते हैं, लोन ले सकते हैं और निकासी के विकल्पों में अधिक लचीलापन मिलेगा।