
नई दिल्ली। संसद भवन की पहचान बन चुकी कॉफी बोर्ड की मशहूर कॉफी अब महंगी हो सकती है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, पूर्व उप-प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी समेत सत्ता और विपक्ष के कई वरिष्ठ नेताओं की पसंदीदा इस कॉफी की कीमत में करीब 10 साल बाद बदलाव की तैयारी है।
कॉफी बोर्ड के सूत्रों के मुताबिक, यदि कीमत बढ़ाई भी जाती है तो यह ₹5 से बढ़कर ₹10 या अधिकतम ₹15 प्रति कप तक ही सीमित रहेगी। खास बात यह है कि संसद में मिलने वाली यह कॉफी स्वाद और गुणवत्ता के मामले में बाजार की ₹50–₹60 की कॉफी को भी पीछे छोड़ देती है।
अभी कितने में मिलती है संसद की कॉफी
संसद भवन परिसर में कॉमर्स मंत्रालय के अधीन कॉफी बोर्ड द्वारा संचालित यह काउंटर पुरानी संसद के सेंट्रल हॉल के पास स्थित है। फिलहाल यहां बेहद किफायती दरों पर नाश्ता और कॉफी उपलब्ध है—
- हॉट कॉफी — ₹5
- कोल्ड कॉफी — ₹12
- टोमेटो सैंडविच — ₹10
- एग सैंडविच — ₹15
- चीज सैंडविच — ₹23
- बटर टोस्ट — ₹6
ये दरें साल 2016 से अब तक बिना बदलाव के जारी हैं।
35 पैसे से ₹5 तक का सफर
जानकारी के मुताबिक, करीब 40 साल पहले संसद की यह कॉफी महज 35 पैसे में मिलती थी। बाद में इसकी कीमत ₹1.50 हुई और फिर 2016 में सांसदों की मांग पर इसे बढ़ाकर ₹5 प्रति कप किया गया। अब लगभग एक दशक बाद दोबारा कीमत बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है।
क्यों खास है संसद की कॉफी?
इस कॉफी की सबसे बड़ी खासियत है इसका शुद्ध और मिलावट-रहित स्वाद। कॉफी बोर्ड द्वारा तैयार की जाने वाली यह कॉफी गुणवत्ता के मामले में हमेशा अव्वल रही है। यही वजह है कि सत्र न होने के दिनों में भी संसद स्टाफ, पूर्व सांसद और आगंतुक खास तौर पर यहां कॉफी पीने पहुंचते हैं।
सीमित बढ़ोतरी, स्वाद वही
सूत्रों का कहना है कि यदि कीमत में इजाफा होता है, तो भी इसका उद्देश्य लागत का आंशिक संतुलन करना होगा, न कि मुनाफा कमाना। संसद की यह कॉफी आगे भी अपने कम दाम और बेहतरीन स्वाद के लिए जानी जाती रहेगी।