
नई दिल्ली।
ग्रामीण भारत को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की दिशा में केंद्र सरकार ने बड़ा और दूरगामी फैसला लिया है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) में ऐतिहासिक बदलावों को मंजूरी दे दी है। अब यह योजना नए नाम ‘पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम’ के तहत लागू होगी और इसके अंतर्गत ग्रामीण परिवारों को हर साल 100 के बजाय 125 दिन का रोजगार मिलने की गारंटी दी जाएगी।
सरकार के इस फैसले से करोड़ों ग्रामीण परिवारों की आय बढ़ेगी, पलायन पर रोक लगेगी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई गति मिलेगी। इसके लिए केंद्र सरकार करीब 95,600 करोड़ रुपये खर्च करेगी।
क्यों अहम है यह फैसला?
विशेषज्ञों के मुताबिक 25 दिन का अतिरिक्त रोजगार सीधे तौर पर ग्रामीण आय में बढ़ोतरी करेगा। इससे न सिर्फ लोगों की क्रयशक्ति बढ़ेगी, बल्कि स्थानीय बाजार, कृषि और छोटे उद्योगों को भी मजबूती मिलेगी। यह फैसला सामाजिक सुरक्षा के दायरे को और व्यापक बनाता है।
राजनीतिक दृष्टि से भी यह कदम महत्वपूर्ण माना जा रहा है। विपक्ष लंबे समय से मनरेगा को अपना प्रमुख कार्यक्रम बताता रहा है और फंडिंग को लेकर सरकार पर सवाल उठाता रहा है। नए बिल के जरिए सरकार इन आरोपों का जवाब देने और योजना को नए सिरे से प्रभावी बनाने की कोशिश कर रही है।
योजना में क्या होंगे बड़े बदलाव?
- सभी परियोजनाएं ‘विकसित भारत नेशनल इंफ्रा स्टैक’ से जुड़ी होंगी
- पीएम गति शक्ति मास्टर प्लान के तहत योजनाओं का क्रियान्वयन
- जल संरक्षण और पानी की सुरक्षा पर विशेष फोकस
- राज्यों को खेती के मौसम से पहले 60 दिन पहले योजना तैयार करनी होगी
- काम न मिलने की स्थिति में मजदूरों को बेरोजगारी भत्ता देने का प्रावधान
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिलेगी ताकत
आर्थिक जानकारों का कहना है कि यह फैसला गांवों में रोजगार सृजन के नए अवसर पैदा करेगा। अधिक आय से उपभोग बढ़ेगा, जिसका सीधा असर बाजार और समग्र अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा।
अन्य बड़े फैसले भी मंजूर
कैबिनेट बैठक में सिर्फ मनरेगा ही नहीं, बल्कि कई अहम सुधारों को भी हरी झंडी दी गई। सरकार सिविल न्यूक्लियर एनर्जी क्षेत्र में निजी और विदेशी कंपनियों को अवसर देने के लिए ‘शांति बिल’ लाने जा रही है। इससे देश की परमाणु ऊर्जा क्षमता बढ़ेगी।
इसके साथ ही बीमा क्षेत्र में 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को मंजूरी दी गई है। इससे बीमा कंपनियों को अधिक पूंजी मिलेगी और आम लोगों को जीवन, स्वास्थ्य और संपत्ति से जुड़ी बेहतर बीमा सुविधाएं उपलब्ध होंगी।
निष्कर्ष
मनरेगा का नाम बदलना सिर्फ प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि इसके दायरे और प्रभाव को बढ़ाने की ठोस पहल है। 125 दिन के रोजगार की गारंटी ग्रामीण भारत के लिए आर्थिक संबल बनेगी और ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य की ओर एक मजबूत कदम साबित होगी।