
नई दिल्ली: भारत के हायर एजुकेशन सिस्टम में ऐतिहासिक बदलाव होने जा रहा है। कैबिनेट ने ‘विकसित भारत शिक्षा अधीक्षण बिल’ को मंजूरी दे दी है, जिसके लागू होने के बाद UGC, AICTE और NCTE का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा और इनके स्थान पर एक सिंगल हायर एजुकेशन रेगुलेटर स्थापित होगा।
बिल का उद्देश्य और बदलाव:
इस बिल को पहले हायर एजुकेशन कमीशन ऑफ इंडिया (HECI) बिल के नाम से जाना जाता था, लेकिन अब इसे विकसित भारत शिक्षा अधीक्षण बिल कहा जाएगा। नया रेगुलेटर नॉन-टेक्निकल, टेक्निकल और टीचर एजुकेशन के लिए जिम्मेदार होगा। हालांकि मेडिकल और लॉ कॉलेज इसके दायरे में नहीं आएंगे।
सिंगल रेगुलेटर की मुख्य भूमिकाएं:
- रेगुलेशन – हायर एजुकेशन संस्थानों के नियम और नीतियां तय करना।
- मान्यता – संस्थानों और कोर्सेज की मान्यता प्रदान करना।
- प्रोफेशनल स्टैंडर्ड – उच्च शिक्षा में शिक्षा और प्रशिक्षण के मानक निर्धारित करना।
फंडिंग को फिलहाल स्वतंत्र रखा जाएगा और इसे प्रशासनिक मंत्रालय द्वारा नियंत्रित किया जाएगा।
सिंगल रेगुलेटर से मिलने वाले फायदे:
- सरकारी और प्राइवेट कॉलेजों में हायर एजुकेशन की क्वालिटी और रिजल्ट पर फोकस बढ़ेगा।
- हितों के टकराव और सूक्ष्म प्रबंधन (माइक्रोमैनेजमेंट) कम होंगे।
- नियामकीय ढांचा पारदर्शी और सक्षम होगा, जिससे निर्णय लेने की प्रक्रिया आसान और तेज़ होगी।
इतिहास और संदर्भ:
HECI का कॉन्सेप्ट पहले 2018 में ड्राफ्ट बिल के रूप में प्रस्तुत किया गया था, जिसमें UGC को रद्द कर नया हायर एजुकेशन कमीशन ऑफ इंडिया स्थापित करने का प्रावधान था। इसके बाद इसे जुलाई 2021 में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के नेतृत्व में दोबारा पेश किया गया। NEP-2020 के अनुसार, नया सिस्टम हायर एजुकेशन सेक्टर को सशक्त, स्वतंत्र और आधुनिक बनाने के लिए जरूरी बदलाव है।
इस बदलाव से भारत में उच्च शिक्षा के नियामकीय ढांचे में समानता, पारदर्शिता और गुणवत्ता सुधार की उम्मीद जताई जा रही है।