
नई दिल्ली: हर साल हजारों भारतीय छात्र विदेश में मेडिकल पढ़ाई के लिए निकलते हैं। अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, जॉर्जिया, किर्गिस्तान, उज्बेकिस्तान और कैरिबियाई देशों तक में भारतीय छात्र डॉक्टर बनने की तैयारी करते हैं। लेकिन सवाल यह है कि वे भारत में पढ़ाई क्यों छोड़कर विदेश का रुख करते हैं। आइए समझते हैं 5 बड़े कारण:
1. ग्लोबल एक्सपोजर और विविध क्लिनिकल एक्सपीरियंस
विदेशी यूनिवर्सिटीज में स्टूडेंट्स को अंतरराष्ट्रीय स्तर के हेल्थकेयर सिस्टम का अनुभव मिलता है। उन्हें अलग-अलग मरीजों और बीमारियों के इलाज का मौका मिलता है। इससे भारत लौटने पर वे मरीजों को उच्च स्तरीय इलाज दे सकते हैं।
2. अडवांस इंफ्रास्ट्रक्चर और रिसर्च के मौके
विदेशी मेडिकल कॉलेज अत्याधुनिक लैब, सिमुलेशन सेंटर और आधुनिक टीचिंग मेथड्स के लिए जाने जाते हैं। स्टूडेंट्स यहां अडवांस डायग्नोस्टिक टूल्स और मेडिकल रिसर्च प्रोजेक्ट्स पर काम कर पाते हैं, जो भारत में सीमित हैं।
3. वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त डिग्रियां
विदेशी यूनिवर्सिटीज के MBBS कोर्स WFME और WDOMS द्वारा मान्यता प्राप्त होते हैं। इसका मतलब है कि यहां से पढ़ाई करने वाले छात्र दुनिया के कई देशों में डॉक्टर के रूप में काम कर सकते हैं।
4. आसान एडमिशन प्रोसेस और कम खर्च
भारत में NEET जैसे कठिन एग्जाम पास करना जरूरी है, जबकि विदेश में सरल और पारदर्शी एडमिशन मिलता है। कुछ देशों में पढ़ाई का खर्च भी भारत के प्राइवेट मेडिकल कॉलेज से कम है, जिससे ज्यादा छात्र इस विकल्प को चुनते हैं।
5. इंटरनेशनल मेडिकल प्रैक्टिस की इजाजत
विदेश में पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स USMLE, PLAB, AMC जैसे इंटरनेशनल लाइसेंसिंग एग्जाम दे सकते हैं। इससे उन्हें ग्लोबल करियर के अवसर मिलते हैं और डिग्री के बाद अच्छी सैलरी भी सुनिश्चित होती है।
विदेश में MBBS करने का यह ट्रेंड भारत के छात्रों के लिए सिर्फ शिक्षा ही नहीं, बल्कि विश्व स्तरीय करियर और अनुभव का रास्ता भी खोलता है।