
कोलकाता। साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता कवि जॉय गोस्वामी का नाम 32 लाख ‘अनमैप्ड’ मतदाताओं की सूची में शामिल होने के कारण चर्चा में है। 72 वर्षीय कवि को 2 जनवरी 2026 को चुनाव आयोग की सुनवाई के लिए बुलाया गया है। हालांकि, जॉय गोस्वामी इस समय तीन सर्जरी से उबर रहे हैं और स्वास्थ्य कारणों से इस सुनवाई में शामिल नहीं हो पाएंगे।
बेटी ने बताया भय की राजनीति का हिस्सा
कवि की बेटी बुकुन ने इस स्थिति को ‘भय की राजनीति’ का हिस्सा बताते हुए कहा कि स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) का इस्तेमाल मतदाताओं को परेशान करने के लिए किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह केवल उनके पिता के साथ नहीं बल्कि अन्य भारतीय मतदाताओं के साथ भी हो रहा है। बुकुन ने अनुमान लगाया कि बंगाल के लोगों को मतदान के अधिकार से वंचित करने के पीछे कोई और एजेंडा हो सकता है।
सुनवाई के लिए आया कॉल
दो दिन पहले जॉय गोस्वामी की पत्नी को चुनाव आयोग की ओर से कॉल आया, जिसमें बताया गया कि कवि और उनकी बेटी को सुनवाई में उपस्थित होना है। बुकुन ने कहा कि उनके पिता का नाम 2025 की मतदाता सूची में है, लेकिन 2002 में उनके पास वोटर आईडी कार्ड नहीं था, इसलिए आवश्यक दस्तावेज जमा नहीं किए जा सके। इसके बावजूद उन्होंने 2024 में जाधवपुर के पोलिंग स्टेशन पर मतदान किया था।
सर्जरी के कारण कवि नहीं जा पाएंगे
गोस्वामी नवंबर 2025 में तीन सर्जरी से गुजरे हैं। डॉक्टर ने उन्हें किसी भी लंबी यात्रा या झटके वाली गतिविधि से बचने की सलाह दी है। सुनवाई में उनकी जगह बेटी बुकुन शामिल होंगी और पिता के दस्तावेजों से जुड़े सवालों का जवाब देंगी।
बुकुन ने कहा
बुकुन ने कहा कि उनके माता-पिता ने इस राज्य में लंबा समय सेवा और काम किया है। उन्हें कभी उम्मीद नहीं थी कि ऐसा दिन आएगा जब उनके पिता वोट देने के अधिकार से वंचित किए जाएं। इस घटना ने बुजुर्गों और अस्वस्थ मतदाताओं के लिए मतदान प्रक्रिया में आने वाली कठिनाइयों पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
— एनबीटी डेस्क