
भोपाल। राजधानी भोपाल में सरकारी निर्माण कार्यों की लापरवाही एक बार फिर सामने आई है। अवधपुरी क्षेत्र में सड़क चौड़ीकरण के लिए शुरू किया गया करीब ₹3 करोड़ का प्रोजेक्ट खराब योजना, आपसी तालमेल की कमी और अधूरे तकनीकी कामों के कारण फ्लॉप होता नजर आ रहा है। एसओएस से अवधपुरी तिराहे तक 1.8 किलोमीटर लंबी यह सड़क ट्रैफिक जाम से राहत देने के उद्देश्य से बनाई जा रही थी, लेकिन अब यह स्थानीय लोगों के लिए मुसीबत बन गई है।
बिजली के खंभे हटाए बिना बना दी सड़क
सबसे बड़ी लापरवाही यह सामने आई है कि सड़क निर्माण शुरू करने से पहले बिजली के खंभों को हटाया ही नहीं गया। नतीजतन, नई बनी सड़क के बीचों-बीच और किनारों पर खंभे खड़े रह गए हैं, जो वाहन चालकों और राहगीरों के लिए गंभीर खतरा बन चुके हैं। खासकर रात के समय दुर्घटनाओं की आशंका और बढ़ गई है।
गलत क्रम में शुरू हुआ काम
स्थानीय लोगों का कहना है कि ठेकेदार ने जरूरी पुलिया को चौड़ा और मजबूत किए बिना ही सड़क का निर्माण शुरू कर दिया। बाद में जब पानी निकासी की समस्या सामने आई, तो सड़क के बने हुए हिस्से को दोबारा तोड़ना पड़ा। इससे सड़क की गुणवत्ता और मजबूती पर सवाल खड़े हो गए हैं।
धूल, गड्ढों और अव्यवस्था से लोग बेहाल
निर्माण कार्य के चलते इलाके में धूल और ऊबड़-खाबड़ रास्तों से लोगों का जनजीवन प्रभावित हो रहा है। स्थानीय निवासी विकास कुमार ने कहा कि जल्दबाजी में किया गया यह काम दुर्घटनाओं को न्योता दे रहा है। एक सामाजिक कार्यकर्ता स्पर्श द्विवेदी ने बताया, “धूल इतनी है कि नवजात बच्चे को बालकनी तक में नहीं ले जा सकते। पहले खंभे हटाने चाहिए थे, यह कैसी इंजीनियरिंग है?”
सड़क की चौड़ाई भी बनी समस्या
इंजीनियरों और शहरी योजनाकारों के अनुसार, सड़क की चौड़ाई कहीं कम तो कहीं ज्यादा होना भविष्य में ट्रैफिक जाम और खतरनाक ओवरटेकिंग का कारण बन सकता है। क्षेत्र के निवासी लंबे समय से इस महत्वपूर्ण मार्ग पर अव्यवस्था झेलने को मजबूर हैं।
ठेकेदार ने दी सफाई
ठेकेदार महेश नरवानी ने सफाई देते हुए कहा कि बिजली के खंभे हटाने के लिए उन्हें करीब तीन महीने तक इंतजार करना पड़ा। छह महीने की समय-सीमा को देखते हुए मजबूरी में काम शुरू करना पड़ा। उन्होंने बताया कि फिलहाल पुलिया की रिटेनिंग वॉल का काम प्राथमिकता पर है, जिसके बाद सड़क निर्माण फिर से किया जाएगा।
हालांकि, इस पूरे मामले पर लोक निर्माण विभाग (PWD) के अधिकारियों ने कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। स्थानीय लोगों का कहना है कि ऐसे बहाने अब राहत नहीं देते। भोपाल में बार-बार सामने आ रही निर्माण संबंधी लापरवाहियां सरकारी योजनाओं की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर रही हैं।