
अमरावती: बांग्लादेश में हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या की घटना ने आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण को गुस्से में ला दिया। दीपू चंद्र दास की हत्या के वीडियो वायरल होने के बाद कल्याण ने विश्व समुदाय की चुप्पी पर तीखा सवाल उठाया।
पवन कल्याण ने अपने ट्वीट में लिखा, “क्या 1971 में इसी दिन भारत के 3,900 बहादुर सैनिकों ने शहादत दी थी? आज उसी बांग्लादेश की धरती अल्पसंख्यकों के खून से लाल हो रही है।” उन्होंने दीपू चंद्र दास की आत्मा के लिए प्रार्थना करते हुए कहा कि इतिहास बलिदान को याद रखता है, लेकिन आज की जमीन मासूम अल्पसंख्यकों के खून से रंगी जा रही है।
कट्टरपंथियों का निशाना बना युवक
रिपोर्ट्स के मुताबिक, दीपू चंद्र दास मैमनसिंह के भालुका की फैक्ट्री में काम करते थे। एक मुस्लिम सहकर्मी ने मामूली विवाद को बड़ा बनाते हुए भीड़ के सामने यह दावा किया कि दीपू ने पैगंबर के बारे में अपमानजनक बातें की हैं। इसके बाद भीड़ ने दीपू को बेरहमी से पीटा और उसकी हत्या कर दी। घटना के वीडियो भी बनाए गए।
1971 का बलिदान और आज की सच्चाई
पवन कल्याण ने लिखा कि 1971 में भारतीय सैनिकों ने केवल युद्ध नहीं लड़ा था, बल्कि लाखों लोगों की पहचान और गरिमा की रक्षा के लिए अपनी जान दी थी। बांग्लादेश के जन्म के लिए लगभग 3,900 सैनिक शहीद हुए और 10,000 से अधिक घायल हुए। लेकिन अब वही भूमि अल्पसंख्यकों पर हमलों की गवाह बन रही है। अगस्त 2024 और जुलाई 2025 के बीच अल्पसंख्यकों के खिलाफ 2,442 घटनाओं की रिपोर्ट दर्ज की गई, जिसमें 150 से अधिक मंदिरों में तोड़फोड़ और अपवित्रकरण शामिल हैं।
पवन कल्याण की अपील
उपमुख्यमंत्री ने बांग्लादेश सरकार से अपील की कि वे न केवल निंदा करें, बल्कि अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करें। दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए ताकि यह स्पष्ट हो कि भीड़ कानून से ऊपर नहीं है। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय, मानवाधिकार आयोग और संयुक्त राष्ट्र से भी बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा पर ध्यान देने की मांग की।
पवन कल्याण ने कहा, “हम चुप नहीं रह सकते, और न ही रहेंगे। हमारे 1971 के शहीदों का खून शांति की ज़मीन के लिए बहा था, न कि उत्पीड़न की ज़मीन के लिए।”