
अशोक वाटिका, लंका: जब रावण ने माता सीता का हरण कर अशोक वाटिका में रखा, तब भी अपनी महाशक्ति के बावजूद रावण कभी उन्हें स्पर्श नहीं कर पाया। ऐसा क्यों था? इसके पीछे माता सीता का चमत्कार और राजा दशरथ जी को दिया गया एक वचन छिपा हुआ था।
घास का तिनका और चमत्कार:
रामायण के अनुसार, जब भी रावण सीता माता के पास आता, तो सीता जी एक घास का तिनका उठाती थीं। इस तिनके में अद्भुत शक्ति थी। सीता माता ने देखा कि राजा दशरथ की खीर पर एक छोटा सा तिनका गिरा था। उन्होंने उस तिनके को बिना हाथ लगाए दूर से देखना शुरू किया और उसे राख में बदल दिया। यह चमत्कार राजा दशरथ ने स्वयं देखा था।
राजा दशरथ का वचन:
राजा दशरथ ने सीता माता से कहा कि जिस प्रकार उन्होंने तिनके को देखा, उसी प्रकार अपने शत्रु को मत देखना। सीता जी ने यह वचन स्वीकार किया और उसी के आधार पर रावण के सामने भी हमेशा संयम बनाए रखा।
रावण के सामने तिनके की शक्ति:
रावण जानता था कि यह तिनका साधारण नहीं है। यदि सीता माता चाहतीं, तो उसी तिनके से वह रावण को भी नष्ट कर सकती थीं। लेकिन माता ने राजा दशरथ के वचन और प्रभु राम की विजय के लिए संयम दिखाया। इसलिए जब भी रावण उनके सामने आता, तो सीता माता उस तिनके को उठाकर रावण को स्पर्श से रोक देती थीं।
निष्कर्ष:
सीता माता और रावण के बीच घास का तिनका केवल एक साधारण तिनका नहीं था, बल्कि विश्वास, वचन और दिव्य शक्ति का प्रतीक था। यही तिनका रावण के नज़दीक जाने का साहस भी छीन देता था और माता सीता की अडिग शक्ति का प्रतीक बन गया।