Monday, December 8

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डॉ. उमर के संपर्कों की गहन छानबीन: जांच एजेंसियां हर संदिग्ध की कुंडली खंगालने में जुटीं, कई पर कस रहा शिकंजा
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डॉ. उमर के संपर्कों की गहन छानबीन: जांच एजेंसियां हर संदिग्ध की कुंडली खंगालने में जुटीं, कई पर कस रहा शिकंजा

दिल्ली ब्लास्ट की साजिश की परतें खुलने लगीं, दो मोबाइल फोनों के कॉल रिकॉर्ड के आधार पर 60 से अधिक लोगों से पूछताछनई दिल्ली: दिल्ली के लाल किले के पास हुए धमाके की जांच तेजी से आगे बढ़ रही है। जांच एजेंसियां इस मामले में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहतीं। इसी क्रम में पुलिस और केंद्रीय एजेंसियां उन सभी लोगों की पड़ताल कर रही हैं, जिनसे धमाके के मुख्य आरोपी माने जा रहे डॉ. उमर नबी ने पिछले महीनों में संपर्क किया था। यह जांच उसके दो गायब मोबाइल फोनों के कॉल डेटा रिकॉर्ड (CDR) के आधार पर की जा रही है। स्पेशल सेल ने खोले साजिश के कई एंगल दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने इस मामले में संगठित साजिश की जांच के तहत FIR दर्ज कर ली है। पुलिस सूत्रों के अनुसार, उमर जिन-जिन लोगों के संपर्क में था, हर एक की पहचान और भूमिका की छानबीन की जा रही है। शुरुआती जांच में संदेह है कि उमर और उसके साथियों का नेटवर्क रा...
भारत को बाध्य नहीं कर सकते मोहम्मद यूनुस: अमेरिकी विशेषज्ञ ने बताया भारत–बांग्लादेश प्रत्यर्पण संधि का सच
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भारत को बाध्य नहीं कर सकते मोहम्मद यूनुस: अमेरिकी विशेषज्ञ ने बताया भारत–बांग्लादेश प्रत्यर्पण संधि का सच

ढाका/नई दिल्ली: बांग्लादेश की अंतरिम सरकार द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग ने भारत–बांग्लादेश संबंधों में नई बहस छेड़ दी है। इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (ICT) द्वारा ‘मानवता के खिलाफ अपराध’ के आरोप में हसीना को मौत की सजा सुनाए जाने के बाद अंतरिम सरकार के सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने भारत से उन्हें तुरंत सौंपने की मांग की है।लेकिन सवाल यह है—क्या भारत, 2013 की प्रत्यर्पण संधि के आधार पर शेख हसीना को ढाका के हवाले करने के लिए बाध्य है? संधि कानूनी रूप से क्या कहती है? भारत और बांग्लादेश के बीच 2013 में हुई प्रत्यर्पण संधि मुख्य रूप से 1971 के युद्ध अपराधों और सीमा पार सक्रिय उग्रवादियों के मामले को ध्यान में रखकर बनाई गई थी। दिलचस्प रूप से, शेख हसीना स्वयं इस संधि के हस्ताक्षरकर्ताओं में थीं। आज वही संधि उनके खिलाफ इस्तेमाल की जा रही है, जिसकी उन्होंने कल्पना भ...
**क्या बांग्लादेश फिर बन रहा है ‘पूर्वी पाकिस्तान’?
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**क्या बांग्लादेश फिर बन रहा है ‘पूर्वी पाकिस्तान’?

कट्टरपंथियों ने 1971 की आजादी की बुनियाद को किया तार-तार, ढाका दहला 50 धमाकों से** ढाका/नई दिल्ली। शेख हसीना को सोमवार को सुनाई गई फांसी की सजा ने बांग्लादेश की राजनीति और उसकी वैचारिक पहचान को गहरे संकट में डाल दिया है। नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार पर आरोप है कि उसने महज एक साल में देश की उस धारा को उखाड़ फेंका है, जिसने 1971 में पाकिस्तान से अलग होकर एक स्वतंत्र, धर्मनिरपेक्ष बांग्लादेश का निर्माण किया था। अगस्त 2024 के विरोध प्रदर्शनों के दौरान ही कट्टरपंथ की उठा-पटक साफ दिखने लगी थी। तब शेख मुजीबुर रहमान की मूर्तियाँ तोड़ी गईं और अल्पसंख्यकों को खुलेआम निशाना बनाया गया। अब शेख हसीना की फांसी के साथ यह संदेश और स्पष्ट हो गया है कि बांग्लादेश एक बार फिर 1947 की उन शक्तियों के शिकंजे में आ चुका है, जिन्हें 1971 में पराजित माना गया था। अवामी लीग...
हर आठ मिनट में बच्चा लापता? सुप्रीम कोर्ट ने जताई गंभीर चिंता
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हर आठ मिनट में बच्चा लापता? सुप्रीम कोर्ट ने जताई गंभीर चिंता

नई दिल्ली, एनबीटी डेस्क सुप्रीम कोर्ट ने देश में हर आठ मिनट में एक बच्चा लापता होने की खबर पर गहरी चिंता जताई है। शीर्ष अदालत ने कहा कि यह तथ्य सत्य है या नहीं, यह निश्चित नहीं है, लेकिन यह एक गंभीर समस्या है जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता। गोद लेने की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने का निर्देशजस्टिस बी.वी. नागरत्ना और जस्टिस आर. महादेवन की पीठ ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि बच्चे के गोद लेने की प्रक्रिया को सरल और सुव्यवस्थित किया जाए। न्यायालय ने कहा कि कठोर गोद लेने की प्रक्रिया के कारण लोग अवैध तरीकों का सहारा ले सकते हैं। समय देने से किया इनकारसुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने लापता बच्चों के मामलों के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त करने के लिए छह सप्ताह का समय मांगा, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे अस्वीकार करते हुए नौ दिसंबर तक प्रक्रिया पूरी करन...
अमित शाह की समयसीमा से 12 दिन पहले ही मारा गया कुख्यात नक्सली हिडमा, सुरक्षा बलों को बड़ी कामयाबी
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अमित शाह की समयसीमा से 12 दिन पहले ही मारा गया कुख्यात नक्सली हिडमा, सुरक्षा बलों को बड़ी कामयाबी

नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा माओवादी कमांडर माडवी हिडमा को खत्म करने के लिए तय की गई 30 नवंबर की समयसीमा से 12 दिन पहले ही सुरक्षा बलों ने हिडमा को मार गिराया। यह ऑपरेशन आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की सीमा पर स्थित घने पुल्लागंडी जंगलों में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। सुरक्षा सूत्रों के अनुसार, गृह मंत्री ने देश से माओवाद उन्मूलन की दिशा में 31 मार्च 2026 तक की समयसीमा तय की थी। इसी योजना के तहत, एक समीक्षा बैठक में शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों को हिडमा को 30 नवंबर से पहले खत्म करने का निर्देश दिया गया था। इस लक्ष्य को पहले ही पूरा कर लिया गया। सूत्रों ने बताया कि नक्सलियों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियानों की तीव्रता को देखते हुए गृह मंत्री द्वारा तय मार्च 2026 की समयसीमा से भी पहले वामपंथी उग्रवाद को खत्म करने की संभावना है। हिडमा, जो 1981 में सुकमा में जन्मा था, प...
क्या भारत पर लंबी दूरी की मिसाइलें दागने की तैयारी में पाकिस्तान? संविधान संशोधन के बाद असीम मुनीर के हाथों में परमाणु कमांड की पूरी बागडोर
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क्या भारत पर लंबी दूरी की मिसाइलें दागने की तैयारी में पाकिस्तान? संविधान संशोधन के बाद असीम मुनीर के हाथों में परमाणु कमांड की पूरी बागडोर

इस्लामाबाद: पाकिस्तान ने अपने संविधान में किए गए 27वें संशोधन के जरिए सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर को देश की रक्षा व्यवस्था का सबसे शक्तिशाली अधिकारी बना दिया है। संशोधन के बाद मुनीर को चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज (CDF) नियुक्त किया गया है और ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी (CJCSC) का पद पूरी तरह समाप्त कर दिया गया है। इसका मतलब यह है कि अब तीनों सेनाओं, रक्षा योजनाओं, सामरिक कमांड और यहां तक कि परमाणु हथियारों का नियंत्रण सीधे एक ही व्यक्ति के हाथ में आ गया है। यह बड़ा बदलाव पाकिस्तान द्वारा मई 2025 में भारत के साथ हुए चार दिवसीय संघर्ष में मिली पराजय के बाद किया गया है। भारत के तेज और सटीक हमलों का जवाब देने में नाकाम रहे पाकिस्तान ने अब अपनी सैन्य संरचना को केंद्रीकृत करने का फैसला लिया है। परमाणु कमांड सेंटर भी मुनीर के हाथों में नए संशोधन का सबसे गंभीर प्रभाव पाकिस्तान की परमाणु संरचना...
भारत को मिली ‘दोस्त’ को बचाने की कुंजी: 2013 की संधि की दो धाराएं बनेंगी हसीना की ढाल
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भारत को मिली ‘दोस्त’ को बचाने की कुंजी: 2013 की संधि की दो धाराएं बनेंगी हसीना की ढाल

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को बचाने के लिए भारत के पास अब मजबूत कानूनी आधार मौजूद है। बांग्लादेश की इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (ICT) द्वारा ‘मानवता के खिलाफ अपराध’ में दोषी ठहराकर फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद ढाका ने भारत से उनके प्रत्यर्पण की औपचारिक मांग की है। लेकिन 2013 में भारत-बांग्लादेश के बीच हुई प्रत्यर्पण संधि की दो धाराएं—धारा 6 और धारा 8—भारत के लिए ‘अचूक हथियार’ साबित हो सकती हैं। हसीना 5 अगस्त 2024 को इस्तीफे के बाद भारत आई थीं और पिछले 15 महीनों से दिल्ली के एक सेफ हाउस में रह रही हैं। यह पहला मौका है जब बांग्लादेश ने औपचारिक रूप से उन्हें सौंपने का दबाव बनाया है। बांग्लादेश की मांग और भारत का जवाब ढाका के विदेश मंत्रालय ने भारत से कहा कि “मानवता के विरुद्ध अपराधों के दोषी व्यक्तियों को शरण देना किसी भी देश के लिए अमित्र व्यवहार है।” भारत की ...
भारत वाला राफेल चाहिए! यूक्रेन–फ्रांस की ऐतिहासिक डील, जिसे पाकिस्तान पर कहर बनकर बरसे ‘ऑपरेशन सिंदूर’ वाले राफेल ने साबित किया दम
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भारत वाला राफेल चाहिए! यूक्रेन–फ्रांस की ऐतिहासिक डील, जिसे पाकिस्तान पर कहर बनकर बरसे ‘ऑपरेशन सिंदूर’ वाले राफेल ने साबित किया दम

नई दिल्ली। रूस के हमलों से जूझ रहे यूक्रेन ने अपनी वायु क्षमता को मजबूत करने के लिए फ्रांस के साथ एक बड़ा रक्षा समझौता किया है। इस समझौते के तहत यूक्रेन अगले 10 वर्षों में 100 डसॉल्ट राफेल F4 मल्टी-रोल फाइटर जेट खरीदेगा। यह वही राफेल है जिसकी मारक क्षमता भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में पाकिस्तान पर पूरी दुनिया देख चुकी है। यह समझौता स्वीडन से 150 ग्रिपेन E विमान खरीदने की संभावित प्लानिंग के खुलासे के कुछ ही दिनों बाद हुआ है—जो स्पष्ट संकेत है कि यूक्रेन पश्चिमी देशों की उन्नततम सैन्य तकनीक को अपने हथियारागार में शामिल करने के लिए बेहद आक्रामक रणनीति अपना रहा है। जेलेंस्की बोले—“यह हमारी सबसे बड़ी एयर डिफेंस क्षमता बनेगी” फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ पेरिस के पास स्थित विलाकोब्ले एयरबेस में आशय पत्र पर हस्ताक्षर करने के बाद यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने कहा...
बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना को फांसी की सजा, ICT ने लगाया मानवता के खिलाफ अपराध का आरोप
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बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना को फांसी की सजा, ICT ने लगाया मानवता के खिलाफ अपराध का आरोप

ढाका।बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनके सहयोगियों पर अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) ने मानवता के खिलाफ गंभीर अपराधों के आरोप में फैसला सुनाया है। कोर्ट ने शेख हसीना, तत्कालीन गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल और पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून को जुलाई–अगस्त 2024 के आरक्षण विरोधी छात्र आंदोलन के दौरान 1400 प्रदर्शनकारियों की हत्या के आरोप में दोषी ठहराया। कोर्ट का आदेश और आरोप ICT की तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि शेख हसीना ने छात्रों और नागरिकों पर क्रूर दमन के आदेश दिए। कोर्ट ने बताया कि उन्होंने हेलीकॉप्टर और ड्रोन के माध्यम से प्रदर्शनकारियों पर निगरानी और घातक हमले करने की अनुमति दी। ढाका यूनिवर्सिटी के वीसी को फोन कर धमकी दी कि जैसे रजाकारों को सजा दी गई थी, उसी तरह प्रदर्शनकारियों को भी मारा जाएगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि अस्पतालों को निर्देशित...
फांसी की सजा पर शेख हसीना की पहली प्रतिक्रिया: बांग्लादेशी कोर्ट का फैसला ‘पक्षपाती और राजनीतिक प्रेरित’
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फांसी की सजा पर शेख हसीना की पहली प्रतिक्रिया: बांग्लादेशी कोर्ट का फैसला ‘पक्षपाती और राजनीतिक प्रेरित’

ढाका/नई दिल्ली।मानवता के खिलाफ अपराध के मामले में दोषी ठहराए जाने और मौत की सजा सुनाए जाने के बाद बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) के फैसले पर अपनी पहली प्रतिक्रिया दी। उन्होंने इसे “धांधली से स्थापित पक्षपातपूर्ण और अलोकतांत्रिक ट्रिब्यूनल” का फैसला बताया। शेख हसीना का बयान हसीना ने कहा कि यह ट्रिब्यूनल एक अंतरिम सरकार द्वारा चलाया जा रहा है, जिसका कोई लोकतांत्रिक जनादेश नहीं है। उनके अनुसार, उनके खिलाफ मौत की सजा की सिफारिश इस बात का संकेत है कि सरकार के चरमपंथी तत्व बांग्लादेश की निर्वाचित प्रधानमंत्री और अवामी लीग को राजनीतिक रूप से समाप्त करना चाहते हैं। हसीना ने आरोप लगाया कि ICT के ट्रायल न तो न्याय दिलाने के लिए थे और न ही 2025 की घटनाओं की सच्चाई सामने लाने के लिए। उनका उद्देश्य अवामी लीग को बलि का बकरा बनाना और अंतरिम सर...