
भारत के रक्षा क्षेत्र में लगातार हो रहे सुधार और निवेश के बीच, पाकिस्तान को तुर्की द्वारा ANKA-3 स्टील्थ ड्रोन का प्रस्ताव दिया गया है, जो भारत के लिए एक महत्वपूर्ण सुरक्षा चुनौती बन सकता है। तुर्की एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज द्वारा विकसित यह ड्रोन अपनी उन्नत तकनीक और स्टील्थ क्षमता के लिए जाना जाता है, जो रडार से बचकर दुश्मन के एयर डिफेंस सिस्टम को नष्ट करने में सक्षम है। इस रिपोर्ट के अनुसार, तुर्की ने पाकिस्तान को अपने अगले-जनरेशन के ANKA-3 ड्रोन का प्रस्ताव दिया है, जिससे पाकिस्तान एयर फोर्स को डीप-स्ट्राइक क्षमता मिल सकती है।
क्या है ANKA-3 ड्रोन की विशेषताएं?
ANKA-3 ड्रोन में एक टेललेस फ्लाइंग विंग डिजाइन है, जो इसके रडार क्रॉस-सेक्शन को कम करता है और इसे रडार से बचाने में मदद करता है। इसकी टर्बोफैन प्रणोदन प्रणाली मैक 0.7 तक की गति प्राप्त करने में सक्षम है, और यह 1,200 किलोग्राम तक के सटीक-गाइडेड गोला-बारूद, हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध सुइट्स को लेकर उड़ान भर सकता है। यह ड्रोन खास तौर पर दुश्मन के एयर डिफेंस सिस्टम को नष्ट करने के लिए डिजाइन किया गया है।
ANKA-3 की डिजाइन इसे 40,000 फीट की ऊंचाई पर लगातार 10 घंटे तक उड़ान भरने की क्षमता प्रदान करती है, जिससे यह एयरबेस और अन्य महत्वपूर्ण सैन्य ठिकानों पर प्रभावी हमला करने में सक्षम हो सकता है।
पाकिस्तान के लिए क्या संभावनाएं?
पाकिस्तान को तुर्की द्वारा यह ऑफर दिया गया है कि वह ANKA-3 स्टील्थ ड्रोन का उत्पादन अपने देश में करने के लिए संयंत्र स्थापित कर सकता है, जिससे पाकिस्तान अपनी सैन्य ताकत को और मजबूत कर सकता है। रिपोर्ट्स के अनुसार, तुर्की ने पाकिस्तान को कम से कम 100 ANKA-3 ड्रोन के निर्माण की पेशकश की है, जो पाकिस्तान के लिए एक दीर्घकालिक सैन्य लाभ का कारण बन सकता है।
भारत को कितना खतरा हो सकता है?
जहां एक ओर ANKA-3 ड्रोन को लेकर पाकिस्तान में उत्साह है, वहीं भारतीय सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इस ड्रोन से भारत को गंभीर खतरा नहीं है। भारतीय वायुसेना के कुछ रिटायर्ड अधिकारियों के अनुसार, हालांकि तुर्की के इस ड्रोन में स्टील्थ क्षमता का दावा किया गया है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि यह पूरी तरह से अदृश्य होगा। उदाहरण के तौर पर, भारत ने अमेरिकी एफ-35 स्टील्थ फाइटर जेट को भी ट्रैक किया था, जो केरल एयरबेस पर खराब होकर खड़ा था।
भारत ने अपने एयरबोर्न और ग्राउंड-रडार नेटवर्क को मजबूत किया है, और इसके अलावा, भारतीय वायुसेना AEW&C (एयरबोर्न अर्ली वॉर्निंग एंड कंट्रोल) और नेक्स्ट-जनरेशन AWACS (एडवांस्ड वॉर्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम) पर भी भारी निवेश कर रहा है। ये सिस्टम तुर्की के ड्रोन जैसे खतरे को समय रहते पहचानने और उसका मुकाबला करने के लिए सक्षम हैं।
इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली (EW) में भारत का निवेश
भारत का इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर (EW) सिस्टम भी काफी मजबूत हो चुका है और लगातार इसे और बेहतर किया जा रहा है। भारतीय विशेषज्ञों का मानना है कि तुर्की द्वारा पाकिस्तान को बेचे जाने वाले इस ड्रोन का जामिंग और स्पूफिंग क्षमता को ब्लॉक करने के लिए भारत का EW सिस्टम बेहद प्रभावी हो सकता है। ऐसे में, यदि पाकिस्तान तुर्की से ANKA-3 ड्रोन खरीदता भी है, तो भारत के पास इसकी न्यूट्रलाइजेशन की क्षमता है।
निष्कर्ष
स्टील्थ ड्रोन तुर्की की तरफ से पाकिस्तान को एक रणनीतिक सैन्य प्रस्ताव है, जो भारत के लिए एक नई सुरक्षा चुनौती उत्पन्न कर सकता है। हालांकि, भारतीय रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के पास इसे नष्ट करने और उस पर प्रभावी नियंत्रण रखने के लिए पर्याप्त तकनीकी क्षमता और संसाधन मौजूद हैं। भारत अपने रडार और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली के जरिए इन तरह के खतरे से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है, और यह सुनिश्चित करने के लिए लगातार अपने रक्षा संसाधनों में वृद्धि कर रहा है।
