
नई दिल्ली। रूस के हमलों से जूझ रहे यूक्रेन ने अपनी वायु क्षमता को मजबूत करने के लिए फ्रांस के साथ एक बड़ा रक्षा समझौता किया है। इस समझौते के तहत यूक्रेन अगले 10 वर्षों में 100 डसॉल्ट राफेल F4 मल्टी-रोल फाइटर जेट खरीदेगा। यह वही राफेल है जिसकी मारक क्षमता भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में पाकिस्तान पर पूरी दुनिया देख चुकी है।
यह समझौता स्वीडन से 150 ग्रिपेन E विमान खरीदने की संभावित प्लानिंग के खुलासे के कुछ ही दिनों बाद हुआ है—जो स्पष्ट संकेत है कि यूक्रेन पश्चिमी देशों की उन्नततम सैन्य तकनीक को अपने हथियारागार में शामिल करने के लिए बेहद आक्रामक रणनीति अपना रहा है।
जेलेंस्की बोले—“यह हमारी सबसे बड़ी एयर डिफेंस क्षमता बनेगी”
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ पेरिस के पास स्थित विलाकोब्ले एयरबेस में आशय पत्र पर हस्ताक्षर करने के बाद यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने कहा—
“यह हमारी सबसे बड़ी वायु रक्षा प्रणाली होगी और दुनिया की सबसे शक्तिशाली एयर डिफेंस क्षमताओं में से एक बनेगी।”
जेलेंस्की ने पहले ही संकेत दिया था कि वह फ्रांस के साथ लड़ाकू विमानन और एयर डिफेंस सिस्टम को मजबूत करने के लिए एक ऐतिहासिक समझौते की उम्मीद करते हैं।
मैक्रों का ऐलान—“100 राफेल की आपूर्ति, यूक्रेन की सेना को नई ताकत”
फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने कहा कि राफेल विमानों की सप्लाई 2035 तक चरणबद्ध रूप से की जाएगी।
दोनों देशों ने इंटरसेप्टर ड्रोन के संयुक्त विकास और निर्माण पर भी सहमति जताई है, जो भविष्य के युद्धों में गेम-चेंजर साबित हो सकते हैं।
यूक्रेन को अचानक इतने राफेल की जरूरत क्यों?
फ्रांसीसी वायुसेना प्रमुख जनरल फैबियन मैंडॉन के अनुसार—
- रूस हर सप्ताह लगभग 1,700 ड्रोन और कई मिसाइलों से यूक्रेन पर हमला कर रहा है।
- फ्रांस की SAMP/T सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें अमेरिकी पैट्रियट बैटरियों की तुलना में रूसी मिसाइलों को मार गिराने में अधिक प्रभावी साबित हुई हैं।
- पैट्रियट सिस्टम रूसी बैलिस्टिक मिसाइलों की नई युद्धाभ्यास तकनीक के सामने कमजोर पड़ रहा है।
यूक्रेन के पास पहले से ही फ्रांसीसी मिराज 2000-5F विमान हैं, लेकिन राफेल के आने से उसकी आक्रामक और रक्षात्मक दोनों क्षमताएं कई गुना बढ़ जाएंगी।
सोशल मीडिया पर चर्चा—अमेरिकी जेट ठुकराए या नहीं?
सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हुई जिसमें दावा किया गया कि यूक्रेन ने अमेरिका के लड़ाकू विमानों को ठुकराकर फ्रांस के राफेल चुने।
जब इस बारे में एआई मॉडल ‘ग्रोκ’ से पूछा गया तो उसने स्पष्ट किया—
- यूक्रेन अमेरिका से मिले F-16 का उपयोग कर रहा है।
- राफेल की डील का मतलब अमेरिकी मदद ठुकराना नहीं है।
- यह केवल यूक्रेन की वायुसेना को और अधिक मजबूत करने की प्रक्रिया है।
राफेल क्यों है यूक्रेन की पहली पसंद?
राफेल की प्रमुख खूबियां—
- गति: 2222 किमी/घंटा
- रेंज: 3700+ किमी
- भार वहन क्षमता: 9500 किलोग्राम
- हवा से हवा और हवा से जमीन पर हमला
- परमाणु हथियार ले जाने की क्षमता
- आधुनिक रडार, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम
- हवा में ईंधन भरने की सुविधा
- डेल्टा विंग डिजाइन, ड्यूल इंजन, 4.5 जनरेशन टेक्नोलॉजी
इन वजहों से राफेल दुनिया के सबसे भरोसेमंद मल्टी-रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट में शामिल है।
भारत का ‘ऑपरेशन सिंदूर’—जहां राफेल ने पाकिस्तान को दिखाया था असली दम
कई अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टों के अनुसार, भारत के ऑपरेशन सिंदूर में राफेल ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) और पाकिस्तान की सीमा में स्थित जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों को बेहद सटीकता से तबाह किया था।
सिर्फ चार दिनों में पाकिस्तान की एयर डिफेंस और कई चीनी मूल के लड़ाकू विमान ज़मीन पर आ गए थे।
राफेल की यही युद्ध क्षमता अब यूक्रेन के लिए उम्मीद का बड़ा आधार बन गई है।