
ढाका।
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनके सहयोगियों पर अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) ने मानवता के खिलाफ गंभीर अपराधों के आरोप में फैसला सुनाया है। कोर्ट ने शेख हसीना, तत्कालीन गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल और पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून को जुलाई–अगस्त 2024 के आरक्षण विरोधी छात्र आंदोलन के दौरान 1400 प्रदर्शनकारियों की हत्या के आरोप में दोषी ठहराया।
कोर्ट का आदेश और आरोप
ICT की तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि शेख हसीना ने छात्रों और नागरिकों पर क्रूर दमन के आदेश दिए। कोर्ट ने बताया कि उन्होंने हेलीकॉप्टर और ड्रोन के माध्यम से प्रदर्शनकारियों पर निगरानी और घातक हमले करने की अनुमति दी। ढाका यूनिवर्सिटी के वीसी को फोन कर धमकी दी कि जैसे रजाकारों को सजा दी गई थी, उसी तरह प्रदर्शनकारियों को भी मारा जाएगा।
कोर्ट ने यह भी कहा कि अस्पतालों को निर्देशित किया गया कि घायल प्रदर्शनकारियों का इलाज न किया जाए। जिन्होंने इलाज किया, उन्हें तुरंत ट्रांसफर कर दिया गया। इस कार्रवाई से प्रदर्शनकारियों की जान गई और उन्हें जलाया गया।
फांसी की सजा और राजनीतिक साजिश का आरोप
अभियोजकों ने कोर्ट में बताया कि शेख हसीना ने 14 जुलाई 2024 को गणभवन में प्रेस कॉन्फ्रेंस में भड़काऊ टिप्पणी की थी। इसके बाद कानून प्रवर्तन और सत्तारूढ़ दल के कार्यकर्ताओं ने कथित तौर पर छात्रों और नागरिकों पर सुनियोजित हमले किए।
ICT ने यह तय किया कि शेख हसीना और उनके सहयोगियों ने आदेश देकर, उकसाकर और साजिश रचकर मानवता के खिलाफ अपराध किए।
पूर्व पीएम और सहयोगियों के खिलाफ साजिश और समर्थन
कोर्ट ने कहा कि कमाल और मामून ने अपने कमान नेटवर्क के माध्यम से आदेशों को लागू किया। अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया कि यह सभी हमले शीर्ष राजनीतिक नेतृत्व के आदेश से किए गए, इसलिए तीनों दोषियों को फांसी की सजा दी गई।
इतिहास में पहली बार
बांग्लादेश के इतिहास में यह पहली बार है जब एक वर्तमान शासनाध्यक्ष के खिलाफ ICT ने ऐसा फैसला सुनाया। इस मामले ने अंतरराष्ट्रीय और स्थानीय राजनीति में हलचल मचा दी है।