Wednesday, December 3

जयपुर का ऐतिहासिक इलाका: क्यों प्रसिद्ध हैं छोटी चौपड़ और बड़ी चौपड़?

जयपुर, 3 दिसंबर 2025: पिंक सिटी जयपुर सिर्फ अपने किलों, बावड़ियों और नक्काशीदार इमारतों के लिए ही नहीं बल्कि ऐतिहासिक चौराहों और बाजारों के लिए भी दुनियाभर में मशहूर है। शहर के कुछ इलाकों के नाम ही पर्यटकों को आकर्षित करते हैं—जैसे छोटी चौपड़, बड़ी चौपड़ और रामगंज चौपड़।

चौपड़ का मतलब और इतिहास:
राजस्थान में चार कोने वाले स्थान को ‘चौकड़ी’ और चौराहों को ‘चौपड़’ कहा जाता है। जयपुर शहर में तीन चौराहों को विशेष पहचान ‘चौपड़’ के नाम से मिली—छोटी चौपड़, बड़ी चौपड़ और रामगंज चौपड़। इन चौराहों का नाम संभवतः ‘चौसर’ खेल से भी जुड़ा हुआ है।

रजवाड़े से जुड़ी कहानी:
जयपुर के संस्थापक और आमेर रियासत के शासक सवाई जयसिंह द्वितीय ने शहर की योजना वास्तुविद विद्याधर भट्टाचार्य से बनवाई। कई महीनों की मेहनत के बाद शहर को ब्लॉकों और बड़े-बड़े चौराहों में बांटा गया। प्रत्येक चौराहे का अलग नामकरण किया गया और गलियों को भी नाम दिए गए।

तीनों चौपड़ एक ही मार्ग पर:

  • छोटी चौपड़: चांदपोल की ओर से शहर में प्रवेश करने पर सबसे पहला चौराहा।
  • बड़ी चौपड़: छोटी चौपड़ से डेढ़ किलोमीटर आगे स्थित।
  • रामगंज चौपड़: बड़ी चौपड़ के बाद आने वाला प्रमुख चौराहा।

पुराने स्वरूप का संरक्षण:
जयपुर की स्थापना 1727 में हुई थी। आधुनिक विकास के बावजूद पुराने शहर के स्वरूप को बरकरार रखा गया है। छोटी चौपड़ और बड़ी चौपड़ पर मेट्रो संचालन भूमिगत है, जिससे पुराने स्टाइल और वास्तुकला को संरक्षित रखा गया।

बाजारों की रौनक:

  • छोटी चौपड़: किशनपोल बाजार, चांदपोल बाजार, शिरडी ड्योढी बाजार, त्रिपोलिया बाजार
  • बड़ी चौपड़: रामगंज बाजार, जौहरी बाजार, त्रिपोलिया बाजार
  • रामगंज चौपड़: रामगंज बाजार, घाटगेट बाजार

ये बाजार न सिर्फ जयपुर के स्थानीय लोग बल्कि आसपास के जिलों से आने वाले लोग भी खरीदारी के लिए पसंद करते हैं। पुराने शहर की रौनक और ऐतिहासिक महत्व के कारण ये इलाक़े सदाबहार बने हुए हैं।

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