Wednesday, December 3

बैलगाड़ी से सगाई करने पहुंचे CM के बेटे, बिना तामझाम के दिखाए संस्कार; डॉक्टर दुल्हनिया भी पारंपरिक लहंगे में छाईं

भोपाल।
सोशल मीडिया पर शादी-समारोहों की चमक-दमक भले ही छाई हो, लेकिन मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव के बेटे डॉ. अभिमन्यु यादव ने अपनी सगाई में ऐसा संदेश दिया जिसने सादगी और संस्कारों की मिसाल पेश कर दी। लग्जरी कारों और भव्य तैयारियों के दौर में अभिमन्यु अपनी मंगेतर डॉ. इशिता यादव के साथ बैलगाड़ी पर बैठकर सगाई स्थल पहुंचे। उनका यह अनोखा और पारंपरिक अंदाज़ लोगों का दिल जीत रहा है।

मुख्यमंत्री के बेटे की शादी 30 नवंबर को सामूहिक विवाह सम्मेलन में संपन्न हुई थी, जहाँ 21 अन्य जोड़ों के साथ उन्होंने फेरे लिए। न कोई वीआईपी बंदोबस्त, न आलीशान सज्जा—यही सादगी इस विवाह को खास बनाती रही। अब सगाई की तस्वीरें भी उसी सरलता और सांस्कृतिक मूल्यों को आगे बढ़ाती दिख रही हैं।

बैलगाड़ी पर चश्मा लगाकर की शानदार एंट्री

सगाई में अभिमन्यु और इशिता की एंट्री सबसे आकर्षण का केंद्र रही। बैलगाड़ी पर बैठकर, ग्रामीण पारंपरिक अंदाज़ में थिरकते हुए पहुँचना—आधुनिक समय में ऐसा नजारा कम ही देखने को मिलता है।
दूल्हे राजा सफेद कुर्ते-पैंट और एम्ब्रॉयडरी वाले व्हाइट ब्लेजर में नजर आए। उनके कुर्ते की कढ़ाई में रेड, येलो, ब्लू और ब्राउन रंगों का संयोजन देखने को मिला। वहीं काले चश्मे ने लुक में युवा और स्टाइलिश अंदाज़ जोड़ दिया।

दुल्हन इशिता यादव पिंक-पर्पल शेड वाले खूबसूरत लहंगे में सजकर आईं। कैन-कैन से बने इस बॉल-गाउन स्टाइल लहंगे पर फ्लोरल मोटिफ्स और सेक्विन सितारों की कढ़ाई इसे बेहद ग्लैमरस बनाती है। हाफ-स्लीव्स ब्लाउज और कटआउट बॉर्डर ने उनके पूरे लुक को खास रूप दिया।

लाइटवेट दुपट्टा और मिनिमल जूलरी—बनीं ‘ग्रेशियस दुल्हन’

लहंगे के हैवी काम को ध्यान में रखते हुए इशिता ने हल्का दुपट्टा चुना, जिसके बॉर्डर पर महीन सुनहरी कढ़ाई और सेक्विन बेल बनी हुई थी।
पेस्टल लुक को पूरा करने के लिए उन्होंने—

  • चोकर सेट
  • मांग टीका
  • कंगन
  • रिंग

जैसी मिनिमल जूलरी पहनी। बालों में सॉफ्ट कर्ल और फ्लोरल हेयर एक्सेसरी ने उनके ब्राइडल लुक में ताजगी भर दी। काला चश्मा उनके अंदाज़ में ग्लैम और कॉन्फिडेंस जोड़ता दिखा।

सोशल मीडिया पर चर्चा—सादगी से जीते दिल

अभिमन्यु-इशिता की बैलगाड़ी एंट्री सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है। लोग उनकी सादगी, संस्कार और बिना दिखावे वाली शादी की खूब तारीफ कर रहे हैं। सामूहिक विवाह सम्मेलन में फेरे लेना और अब बैलगाड़ी से सगाई में पहुंचना—दोनों ने यह संदेश दिया कि समारोह की भव्यता नहीं, रिश्तों की गरिमा और मूल्यों की महत्ता अधिक है।

Leave a Reply