Wednesday, December 3

भारत-रूस का बड़ा सौदा: अमेरिका के प्रतिबंधों के बावजूद दोगुनी हुई क्रूड लोडिंग, चीन-तुर्की को भी बढ़ी सप्लाई

नई दिल्ली: रूस से भारत को कच्चे तेल की सप्लाई में हाल के दिनों में तेजी आई है। नवंबर के पहले पखवाड़े में इसमें गिरावट आई थी, लेकिन बाद में लोडिंग लगभग दोगुनी हो गई। यह संकेत है कि रूस ने अमेरिका के प्रतिबंधों के बावजूद नई लॉजिस्टिक रणनीतियों के जरिए भारत के भरोसे को कायम रखा है।

ईटी की रिपोर्ट और Kpler के आंकड़ों के अनुसार, नवंबर में भारत के लिए रूसी बंदरगाहों से क्रूड की लोडिंग औसतन 1.27 मिलियन बैरल प्रति दिन (एमबीडी) रही। यह महीने के पहले 17 दिनों में 672,000 बैरल के मुकाबले दोगुनी है। हालांकि अक्टूबर के 1.84 एमबीडी और अप्रैल-सितंबर के 1.7 एमबीडी औसत से यह कम है।

अमेरिका ने रूस की कंपनियों पर लगाया प्रतिबंध:
अमेरिका ने रूस की दो बड़ी तेल कंपनियों रोसनेफ्ट और लुकोइल पर प्रतिबंध लगाए थे, ताकि रूस की यूक्रेन युद्ध को फंड करने की क्षमता कमजोर हो सके। इसके बावजूद भारत ने पहले ही बड़े सौदे कर लिए थे। रूस अब शिप-टू-शिप ट्रांसफर, यात्रा के बीच डेस्टिनेशन बदलना और जटिल लॉजिस्टिक के माध्यम से भारत को तेल सप्लाई कर रहा है।

भारतीय बंदरगाहों पर क्रूड अराइवल:
नवंबर में भारतीय बंदरगाहों पर रूसी तेल का आगमन 1.83 एमबीडी रहा, जो अक्टूबर के 1.62 एमबीडी से अधिक है। चीन और तुर्की को भी सप्लाई बढ़ी है। चीन को रोजाना औसतन 887,000 बैरल और तुर्की को 143,000 बैरल तेल मिला, जो महीने के पहले 17 दिनों के मुकाबले काफी अधिक है।

भारत पर अमेरिकी दबाव:
अमेरिका ने रूस से तेल खरीदने के कारण भारतीय सामान पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगा रखा है। लेकिन उद्योग विशेषज्ञों का कहना है कि रूस के माध्यम से भारत को क्रूड सप्लाई जारी रहेगी और यह अमेरिका के दबाव का असर कम करेगा।

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