
नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में सांस की गंभीर बीमारियों से पीड़ित मरीजों की संख्या में चिंताजनक वृद्धि देखी गई है। पिछले तीन साल में शहर के छह बड़े अस्पतालों की इमरजेंसी में दो लाख से अधिक मरीज एक्यूट रेस्पिरेट्री इन्फेक्शन (सांस फूलना, खांसी, सीने में जकड़न जैसी समस्याएँ) के साथ पहुंचे, जिनमें से 30 हजार से ज्यादा मरीजों को भर्ती करना पड़ा।
सरकार ने यह जानकारी राज्यसभा में दी, जहां सांसद विक्रमजीत सिंह साहनी ने इस संबंध में सवाल उठाया था। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि इन मामलों में वायु प्रदूषण एक बड़ा कारण है। धुआं, धूल और प्रदूषित हवा के बढ़ने पर विशेष रूप से बच्चों, बुजुर्गों और दमा के मरीजों को सांस लेने में गंभीर परेशानी होती है।
सरकार ने यह भी बताया कि भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने विभिन्न जगहों पर एक मल्टी-साइट अध्ययन किया। अध्ययन में देखा गया कि जब हवा में प्रदूषण बढ़ता है, तो अस्पतालों की इमरजेंसी में आने वाले मरीजों की संख्या भी बढ़ जाती है। हालांकि, मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि इस अध्ययन से प्रदूषण और बीमारियों के बीच प्रत्यक्ष कारण-प्रभाव संबंध पूरी तरह प्रमाणित नहीं होता।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि बढ़ते प्रदूषण के चलते श्वसन संबंधी बीमारियों में वृद्धि एक गंभीर चेतावनी है। आमजन को सलाह दी गई है कि विशेषकर प्रदूषित दिनों में मास्क पहनें, धूल और धुआं से बचें और जरूरत पड़ने पर डॉक्टर की सलाह लें।