
नई दिल्ली: भारत सरकार ने सभी स्मार्टफोन निर्माताओं को निर्देश दिया है कि वे अपने डिवाइस में ‘संचार साथी’ ऐप को प्री-इंस्टॉल करें। यह आदेश 21 नवंबर को जारी हुआ और कंपनियों को इसे लागू करने के लिए 90 दिन का समय दिया गया है। सरकार का तर्क है कि यह कदम साइबर सुरक्षा मजबूत करने और IMEI नंबर में छेड़छाड़ रोकने के लिए है।
कांग्रेस का विरोध:
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद केसी वेणुगोपाल ने इसे असंवैधानिक करार दिया। उनका कहना है कि यह ऐप निजता के अधिकार का उल्लंघन है और हर भारतीय की हर गतिविधि, बातचीत और निर्णय पर नजर रखने का साधन बन सकता है। उन्होंने इसे भारतीय नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों पर हमला बताया और इसे तुरंत वापस लेने की मांग की।
विशेषज्ञों की राय:
टेक पॉलिसी एनालिस्ट निखिल पाहवा ने इस कदम को मोबाइल उपयोगकर्ताओं के लिए बुरी खबर बताया। उन्होंने कहा कि मोबाइल फोन व्यक्तिगत स्थान है, और प्री-इंस्टॉल ऐप से इसमें अतिक्रमण हो सकता है। उन्होंने सवाल उठाया कि कैसे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि ऐप हमारी फाइलों और संदेशों तक अनधिकृत पहुंच नहीं करेगा, या भविष्य में कोई अपडेट हमारी गोपनीयता का उल्लंघन न करे।
किस कंपनियों पर लागू:
सरकार ने यह आदेश Apple, Samsung, Google, Motorola, Xiaomi, Oppo और Vivo जैसी सभी कंपनियों पर लागू किया है। यह ऐप स्पष्ट रूप से दिखाई देना चाहिए, पूरी तरह काम करना चाहिए और उपयोगकर्ताओं के लिए आसानी से सुलभ होना चाहिए। इसके कार्यों को प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता।
सरकार का तर्क:
संचार साथी ऐप को दूरसंचार विभाग की नागरिक-केंद्रित पहल के रूप में पेश किया गया है, जिसका उद्देश्य मोबाइल ग्राहकों को सशक्त बनाना, उनकी सुरक्षा बढ़ाना और सरकारी पहलों के बारे में जागरूकता फैलाना है।
इस कदम ने देश में निजता बनाम सुरक्षा के बीच बहस को और बढ़ा दिया है।