
नई दिल्ली: भारत सरकार के निर्देश के बाद देश के आठ राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश ने अपने राज भवनों के नाम बदलकर लोक भवन कर दिए हैं। इस कदम का उद्देश्य औपनिवेशिक मानसिकता को दूर करना और लोकतांत्रिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देना है।
पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, असम, उत्तराखंड, ओडिशा, गुजरात और त्रिपुरा ने अपने राज भवनों का नाम बदल दिया है। वहीं, लद्दाख के उपराज्यपाल के निवास कार्यालय का नाम अब लोक निवास रखा गया है, जिसे पहले राज निवास कहा जाता था।
नाम बदलने की वजह:
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पिछले साल राज्यपालों के सम्मेलन में हुई चर्चा का हवाला देते हुए बताया कि ‘राज भवन’ नाम औपनिवेशिक युग की मानसिकता को दर्शाता है। इसलिए अब राज्यपालों और उपराज्यपालों के कार्यालयों को लोकतांत्रिक दृष्टि से उपयुक्त नाम दिए गए हैं।
ऐतिहासिक बदलाव की श्रृंखला:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों के तहत भारत में औपनिवेशिक प्रतीकों और नामों को बदलने की यह एक और पहल है। इससे पहले राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ किया गया था। सरकारी कामकाज में ‘इंडिया’ की जगह ‘भारत’ शब्द का इस्तेमाल बढ़ाया जा रहा है। गणतंत्र दिवस पर होने वाले बीटिंग रिट्रीट समारोह में अब अंग्रेजी धुनें नहीं बजाई जातीं।
राज्यपालों का संदेश:
केरल के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि यह बदलाव औपनिवेशिक मानसिकता से लोकतांत्रिक मानसिकता की ओर बढ़ने का महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने लोगों को इस नई सोच को अपनाने के लिए बधाई दी।
उत्तराखंड के राज्यपाल के सचिव रविनाथ रमन ने अधिसूचना जारी कर देहरादून और नैनीताल स्थित राज भवन का नाम लोक भवन किया गया। यह नामकरण तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है।