Monday, November 24

रामपुर के नवाबों का रहस्यमयी महल: रेलवे स्टेशन से जुड़ा शाही वैभव और अनसुनी दास्तान

रामपुर: उत्तर प्रदेश का रामपुर केवल भूगोल का हिस्सा नहीं, बल्कि उत्तर भारत की शान, तहजीब और संस्कृति का प्रतीक रहा है। 1774 में नवाब फैजुल्ला खान द्वारा स्थापित इस रियासत ने डेढ़ सौ वर्षों तक रोहिलखंड और अवध की राजनीति और कला को नई दिशा दी। लेकिन रामपुर की असली पहचान उसके नवाबों की शान, महलों के रहस्य और महल तक जाने वाली निजी रेलवे लाइन से बनती है।

नवाबों का सांस्कृतिक और राजनीतिक सफर

रामपुर रियासत का इतिहास नवाबों की शान और कला प्रेम से भरा है।

  • 1774 – नवाब फैजुल्ला खान ने रियासत की नींव रखी।
  • 1816–1855 – नवाब गुलाम मोहम्मद खान ने रामपुर को संगीत का स्वर्ण युग दिया।
  • 1855–1887 – नवाब यूसुफ अली खान ने इसे साहित्यिक राजधानी बनाया।
  • 1887–1930 – नवाब हामिद अली खान ने भव्य महल, सड़कें और उद्यान बनवाए।
  • 1930–1966 – नवाब रजा अली खान ने स्वतंत्रता से पूर्व अंतिम सत्ताधारी के रूप में शाही विरासत को कायम रखा।

महल का जादुई संसार

रामपुर किला नवाबी दौर की कहानियों का घर है। नवाब हामिद अली खान के समय शास्त्रीय संगीत की महफिलें आयोजित होती थीं। उस्ताद बिस्मिल्लाह खान सहित बड़े घरानों के उस्ताद इस महल में प्रदर्शन करते थे।

सात दरवाजों वाला रहस्यमयी तहखाना

महल के भीतर एक सात परतों वाला तहखाना था, जिसमें नवाबी खजाना और गुप्त दस्तावेज रखे जाते थे। इसकी चाबी केवल नवाब और सुरक्षा प्रमुख के पास थी। महल से शहर तक एक गुप्त सुरंग भी बनी थी, जिसे मुगल और रोहिल्ला संघर्ष के समय आपात मार्ग के रूप में प्रयोग किया जाता था।

महल में निजी रेलवे स्टेशन

रामपुर के नवाबों की शान इतनी थी कि उन्होंने अपने महल तक 40 किलोमीटर लंबी निजी रेल लाइन बिछवाई। नवाब हामिद अली खान की निजी ट्रेन चार बोगियों वाली थी, जिसमें शाही बेडरूम, सजावटी डाइनिंग रूम, मनोरंजन कक्ष, सेवादार और सुरक्षा कर्मचारियों के कमरे शामिल थे। यह ट्रेन केवल यात्रा का साधन नहीं, बल्कि नवाब की चलती-फिरती सत्ता थी।

सरकारी प्रोटोकॉल और ऐतिहासिक योगदान

प्रत्येक यात्रा से पहले नवाब सरकार को सूचना भेजते और ट्रेन को सरकारी ट्रेनों से जोड़कर शाही यात्रा करते। विभाजन के समय नवाब ने अपनी ट्रेन का उपयोग करके कई लोगों को पाकिस्तान पहुंचाने में मदद की। आज भी महल में मौजूद नवाब रेलवे स्टेशन इसकी याद दिलाता है।

2700 करोड़ की शाही विरासत

रामपुर के नवाबी परिवार की संपत्ति वर्षों तक विवादों में रही। अंतिम नवाब रजा अली खान की 2700 करोड़ की संपत्ति का बंटवारा सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हुआ। महल में आज भी सोने-चांदी के पलंग, रत्नजड़ित सिंहासन, ऐतिहासिक हथियार और कीमती असबाब नवाबी वैभव की कहानी कहते हैं।

रामपुर की कहानी सिर्फ इतिहास नहीं, बल्कि शान, रहस्य और भारतीय संस्कृति की जीवित विरासत भी है। महल तक दौड़ती निजी ट्रेन और उसके पीछे छिपी दास्तानें आज भी रामपुर को दुनिया के सबसे अनोखे नवाबी अध्यायों में शामिल करती हैं।

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