
कोलकाता: पश्चिम बंगाल की राजनीति में एक बार फिर हलचल मच गई है। तृणमूल कांग्रेस (TMC) के विधायक हुमायूं कबीर ने ऐलान किया है कि वह 6 दिसंबर को मुर्शिदाबाद जिले के बेलडांगा में बाबरी मस्जिद का शिलान्यास करेंगे। उन्होंने दावा किया है कि यह मस्जिद तीन साल में बनकर तैयार हो जाएगी।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ
बीजेपी ने इस कदम की तुष्टिकरण की राजनीति के रूप में आलोचना की है। पश्चिम बंगाल बीजेपी की सेक्रेटरी प्रियंका टिबरेवाल ने कहा कि टीएमसी का सेक्युलरिज़्म “धर्म-विशेष” है और यह घोषणा केवल राजनीतिक लाभ के लिए की जा रही है। वहीं, बीजेपी नेता राहुल सिन्हा ने कहा कि मस्जिद बन सकती है, लेकिन इसे सही जगह पर होना चाहिए।
कांग्रेस ने इस विवाद से दूरी बनाए रखी। उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा कि उनकी पार्टी शासन और विकास के मुद्दों पर केंद्रित है, न कि धार्मिक या राजनीतिक विवादों पर।
हुमायूं कबीर की पृष्ठभूमि
हुमायूं कबीर टीएमसी के उन विधायक समूह में शामिल हैं जो पार्टी नेतृत्व से नाराज हैं, हालांकि उन्होंने ममता बनर्जी की आलोचना करने से परहेज किया है। उनके इस ऐलान के बाद राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर राजनीति गरमा गई है।
विवाद और बहस
इस ऐलान के बाद राजनीतिक दलों और नेताओं के बीच तीखी बहस शुरू हो गई। बीजेपी ने इसे धर्म आधारित तुष्टिकरण की कोशिश करार दिया, जबकि कांग्रेस ने खुद को अलग रखा। उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने भी विवाद पर टिप्पणी करते हुए कहा कि “ईटें उखाड़ फेंकी जाएंगी।”