
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों का दिन आ चुका है। मतगणना के इस अहम दिन पर लोगों के मन में अक्सर यह सवाल रहता है कि EVM की सुरक्षा कैसे होती है, स्ट्रॉन्ग रूम क्या होता है, और वोटों की गिनती किस प्रक्रिया से की जाती है। आइए जानते हैं पूरी जानकारी सरल और स्पष्ट भाषा में।
वोटिंग खत्म होने के बाद क्या होता है?
मतदान समाप्त होते ही प्रीसाइडिंग अफसर प्रत्येक EVM की जांच करते हैं। इसमें दर्ज वोटों का परीक्षण किया जाता है और वहां मौजूद सभी प्रत्याशियों के पोलिंग एजेंटों को एक सत्यापित कॉपी प्रदान की जाती है।
जांच के बाद सभी EVM को कड़ी निगरानी और वीडियो रिकॉर्डिंग के बीच स्ट्रॉन्ग रूम की ओर ले जाया जाता है, जहां उन्हें सुरक्षित रखा जाता है।
स्ट्रॉन्ग रूम क्या है?
स्ट्रॉन्ग रूम एक विशेष सुरक्षित कमरा होता है, जिसे आमतौर पर सरकारी स्कूलों या सुरक्षित परिसरों में बनाया जाता है।
- कमरे में सिर्फ एक दरवाजा होता है।
- खिड़कियों को पूरी तरह सील कर दिया जाता है।
- स्ट्रॉन्ग रूम में EVM को भारी सुरक्षा, CCTV निगरानी और वीडियोग्राफी के बीच रखा जाता है।
इस दौरान राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि भी मौजूद होते हैं, ताकि पारदर्शिता बनी रहे।
स्ट्रॉन्ग रूम की चाबी किसके पास होती है?
EVM सुरक्षा की सबसे महत्वपूर्ण प्रक्रिया होती है डबल लॉक सिस्टम।
- पहली चाबी रिटर्निंग ऑफिसर के पास रहती है।
- दूसरी चाबी असिस्टेंट रिटर्निंग ऑफिसर के पास।
स्ट्रॉन्ग रूम खोलने का अधिकार केवल मतगणना वाले दिन ही होता है, वह भी सभी प्रत्याशियों या उनके प्रतिनिधियों की मौजूदगी में। दरवाजा खोलते समय पूरी वीडियोग्राफी अनिवार्य होती है।
कैसे होती है EVM से वोटों की गिनती?
मतगणना वाले दिन स्ट्रॉन्ग रूम खोलकर EVM को काउंटिंग हॉल तक ले जाया जाता है।
यहां प्रत्येक मशीन की सील और ID की जांच की जाती है।
इसके बाद:
- कंट्रोल यूनिट पर मौजूद रिजल्ट बटन दबाया जाता है।
- यूनिट पर पड़े सारे वोट उम्मीदवारवार (Candidate-wise) स्क्रीन पर दिखाई देते हैं।
- इसी तरह सभी मशीनों का डाटा निकालकर कुल वोटों की गिनती पूरी की जाती है।
इस बार मतदान का रिकॉर्ड
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में राज्य में 1951 के बाद सर्वाधिक 67.13% मतदान दर्ज किया गया। दो चरणों में 6 और 11 नवंबर को मतदान हुआ था। अब मतगणना के साथ ही पूरे राज्य की राजनीतिक तस्वीर आज साफ हो जाएगी।