
नई दिल्ली: ‘बित्ते भर की लड़की और कारनामे बड़े-बड़े’—फरीदाबाद की 9 साल की अर्शी गुप्ता पर यह कहावत पूरी तरह फिट बैठती है। महज 9 साल की उम्र में अर्शी ने नेशनल कार्टिंग चैंपियनशिप का खिताब जीतकर इतिहास रचा है। वे भारत की पहली महिला रेसर बनी हैं, जिन्होंने इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में जीत दर्ज की।
माइक्रो मैक्स क्लास में ऐतिहासिक जीत:
अर्शी ने लड़कों और लड़कियों दोनों की मौजूदगी वाली 8-12 साल आयु वर्ग की माइक्रो मैक्स क्लास में फाइनल रेस जीतकर खिताब अपने नाम किया। प्री-फाइनल में मिड-ग्रिड से एडवांस होकर फाइनल में अपनी पोल पोजीशन को खिताबी जीत में तब्दील करना उनके अनुभव और कौशल को दर्शाता है।
कार्टिंग में सिर्फ दूसरा साल:
18 अक्तूबर, 2016 को जन्मी अर्शी ने 2024 में कार्टिंग की शुरुआत की थी। उन्होंने लीपफ्रॉग रेसिंग के तहत प्रतियोगिताएं खेलीं और अगस्त 2025 में मद्रास इंटरनेशनल कार्टिंग एरिना में राउंड 3 भी जीता। इसके अलावा कोयंबटूर में भी जीत दर्ज कर चुकी हैं।
अंतरराष्ट्रीय अनुभव और कड़ी ट्रेनिंग:
अर्शी ने यूएई में 5 महीने और ब्रिटेन में 10 सप्ताह की कड़ी ट्रेनिंग भी ली। सितंबर 2025 में उन्होंने एशिया पैसेफिक मोटरस्पोर्ट्स चैंपियनशिप में टीम इंडिया का प्रतिनिधित्व किया और मिनी कैटेगरी में चौथा स्थान हासिल किया।
साइक्लिंग से कार्टिंग तक का सफर:
अर्शी के पिता अंचित गुप्ता ने उनकी साइक्लिंग प्रतिभा को देख कर उन्हें कार्टिंग की ओर प्रेरित किया। गुरुग्राम के लोकल ट्रैक पर रोहित खन्ना से कोचिंग दिलाई गई। अर्शी हर वीकेंड ट्रेनिंग में भाग लेती हैं और उनकी मेहनत का नतीजा अब सामने आया है।
रिकॉर्ड बुक में नाम दर्ज:
नेशनल कार्टिंग चैंपियनशिप जीतने से पहले ही अर्शी का नाम रिकॉर्ड बुक में दर्ज हो चुका था। वे नेशनल कार्टिंग लाइसेंस हासिल करने वाली सबसे कम उम्र की भारतीय महिला रेसर भी बन गई हैं।
निष्कर्ष:
अर्शी गुप्ता की यह जीत केवल व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि भारत में महिला कार्टिंग के लिए प्रेरणा का बड़ा उदाहरण है। इतनी छोटी उम्र में उन्होंने यह साबित कर दिया कि मेहनत और जुनून किसी भी उम्र की सीमा को पार कर सकते हैं।