
नई दिल्ली। देश की सबसे बड़ी विमानन कंपनी इंडिगो से जुड़े हालिया संकट को लेकर बड़ा घटनाक्रम सामने आया है। इस मामले की जांच कर रही आठ सदस्यीय उच्चस्तरीय समिति ने अपनी गोपनीय रिपोर्ट नागरिक उड्डयन मंत्रालय को सौंप दी है। रिपोर्ट के सामने आने के बाद इंडिगो क्राइसिस की असल वजहों से पर्दा उठने की उम्मीद जताई जा रही है।
जॉइंट डायरेक्टर जनरल (DGCA) संजय के. ब्रह्मणे की अध्यक्षता में गठित इस समिति का गठन पांच दिसंबर को किया गया था। समिति को दिसंबर के पहले सप्ताह में इंडिगो की बड़ी संख्या में उड़ानों के ग्राउंड होने के कारणों की गहराई से जांच करने का जिम्मा सौंपा गया था। हालांकि, तय समय-सीमा 20 दिसंबर तक रिपोर्ट नहीं दी जा सकी, जिसके बाद 26 दिसंबर को रिपोर्ट सौंपने की नई तारीख तय की गई थी। इसी क्रम में आज शाम यह रिपोर्ट मंत्रालय को सौंपी गई।
सूत्रों के अनुसार, जांच के दायरे में एफडीटीएल (फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन) के नए नियमों का प्रभाव, पायलटों की कमी, क्रू रोस्टर में गड़बड़ी और परिचालन प्रबंधन से जुड़ी गंभीर खामियों की पड़ताल की गई है। दिसंबर के पहले सप्ताह में लगातार उड़ानों के रद्द होने और ग्राउंड होने से यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा था।
इस संकट का असर उपभोक्ताओं तक भी साफ तौर पर पहुंचा। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय को इंडिगो के खिलाफ करीब 100 शिकायतें प्राप्त हुईं, जिनमें फ्लाइट रद्द होने, मुआवजा न मिलने और रिफंड में देरी जैसे मुद्दे शामिल हैं। ये सभी शिकायतें नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन के माध्यम से दर्ज की गई थीं, जिन्हें आगे कार्रवाई के लिए सरकार के एयर यात्रा शिकायत निवारण मंच ‘एयर सेवा’ को भेज दिया गया है।
अब निगाहें नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अगले कदम पर टिकी हैं। माना जा रहा है कि रिपोर्ट के निष्कर्षों के आधार पर इंडिगो प्रबंधन से जवाब-तलब किया जा सकता है और यात्रियों के हित में सख्त फैसले लिए जा सकते हैं। विमानन क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिहाज से यह रिपोर्ट बेहद अहम मानी जा रही है।