Thursday, December 25

भारत की गोद में आए चीन के दो दुश्मन, ब्रह्मोस मिसाइल पर बढ़ा सहयोग

 

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नई दिल्ली। भारत ने वियतनाम और इंडोनेशिया के साथ ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल सौदे को अंतिम रूप देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ा लिया है। यह सौदा दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती दबंगई को चुनौती देने के साथ ही भारत की रक्षा कूटनीति में मजबूती का प्रतीक है। प्रस्तावित सौदे का कुल मूल्य लगभग ₹4,000 करोड़ (450 मिलियन अमेरिकी डॉलर) बताया जा रहा है।

 

रूस की सहमति के बाद सौदा संभव

ब्रह्मोस मिसाइल का विकास भारत और रूस ने संयुक्त रूप से किया है। इसलिए तीसरे देशों को मिसाइल निर्यात करने के लिए मॉस्को की अनुमति अनिवार्य है। रक्षा सूत्रों के अनुसार, रूस ने भारत को वियतनाम और इंडोनेशिया को ब्रह्मोस की आपूर्ति पर कोई आपत्ति नहीं होने की पुष्टि की है। अब औपचारिक अनुबंध पर हस्ताक्षर की प्रतीक्षा है।

 

दक्षिण चीन सागर में चीन की चुनौती

वियतनाम और इंडोनेशिया, फिलीपींस की तरह, दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती आक्रामकता और रणनीतिक दबाव का सामना कर रहे हैं। जनवरी 2022 में भारत ने फिलीपींस के लिए तीन ब्रह्मोस तटीय बैटरियों की डील की थी। नए सौदों के बाद वियतनाम और इंडोनेशिया इस सुपरसोनिक मिसाइल को शामिल करने वाले एशियाई देश बनेंगे।

 

ब्रह्मोस की क्षमताओं में इजाफा

ब्रह्मोस मिसाइल वर्तमान में मैक 2.8 की गति से उड़ान भरती है और लगभग 450 किलोमीटर की मारक क्षमता रखती है। इसे सुखोई-30MKI लड़ाकू विमानों में सफलतापूर्वक एकीकृत किया गया है। भारत की योजना है कि 2028 तक इसकी मारक क्षमता 800 किलोमीटर तक बढ़ाई जाए।

 

रक्षा निर्यात में भारत की बढ़ती भूमिका

ब्रह्मोस के अलावा भारत, वियतनाम, इंडोनेशिया, फिलीपींस, संयुक्त अरब अमीरात और ब्राजील को आकाश वायु रक्षा प्रणाली और पिनाका बहु-लॉन्च रॉकेट प्रणाली भी निर्यात कर रहा है। वित्त वर्ष 2024-25 में भारत ने लगभग ₹24,000 करोड़ के रक्षा उपकरण निर्यात कर वैश्विक रक्षा क्षेत्र में अपनी बढ़ती भूमिका को दर्शाया।

 

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