Thursday, December 25

झारखंड में MBBS डॉक्टरों के लिए अनिवार्य सेवा नियम: राज्य से पढ़ाई की तो 5 साल देनी होगी सरकारी सेवा

 

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धनबाद।

झारखंड सरकार ने राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से एक बड़ा नीतिगत फैसला लिया है। अब राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेजों से एमबीबीएस (MBBS) करने वाले डॉक्टरों को अनिवार्य रूप से पांच वर्षों तक सरकारी अस्पतालों में सेवा देनी होगी। इस आशय की घोषणा स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने धनबाद दौरे के दौरान की। सरकार इस नई व्यवस्था को लागू करने के लिए जल्द ही स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) जारी करेगी।

 

स्वास्थ्य मंत्री ने स्पष्ट किया कि राज्य में डॉक्टरों की कमी को देखते हुए यह निर्णय आवश्यक हो गया था, ताकि दूर-दराज़ और ग्रामीण इलाकों में भी मरीजों को समय पर इलाज मिल सके।

 

कोयलांचल को बनाया जाएगा ‘मेडिकल हब’

 

डॉ. इरफान अंसारी ने बताया कि आने वाले चार वर्षों में कोयलांचल क्षेत्र को झारखंड का ‘मेडिकल हब’ के रूप में विकसित किया जाएगा। इस दिशा में धनबाद में दिशोम गुरु शिबू सोरेन के नाम पर नए मेडिकल कॉलेज की स्थापना की जाएगी। इसके साथ ही धनबाद मेडिकल कॉलेज के पुराने भवन को तोड़कर अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस नया भवन बनाया जाएगा, जहां भविष्य में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और रोबोटिक तकनीक के जरिए मरीजों का उपचार किया जाएगा।

 

आठ नए मेडिकल कॉलेज खोलने की योजना

 

स्वास्थ्य मंत्री ने जानकारी दी कि राज्य में कुल आठ नए मेडिकल कॉलेज खोलने की योजना है, जिनमें से चार पर निर्माण कार्य शुरू हो चुका है। उन्होंने धनबाद मेडिकल कॉलेज में हड्डी रोग विभाग के लिए सी-आर्म मशीन और एनेस्थीसिया वर्क स्टेशन जैसे आधुनिक चिकित्सा उपकरणों का उद्घाटन भी किया।

 

देरी से पहुंची ओपीडी, घायल बच्चे की मदद

 

बुधवार को मंत्री का सदर अस्पताल में ओपीडी कार्यक्रम सुबह 11 बजे निर्धारित था, लेकिन वे दोपहर करीब 2 बजे पहुंचे। इस दौरान उन्होंने केवल तीन मरीजों को देखा। हालांकि, अस्पताल परिसर से निकलते समय एक घायल बच्चे को देखकर उन्होंने तुरंत वाहन रुकवाया और अधिकारियों को उसके तत्काल और बेहतर इलाज के निर्देश दिए। मेडिकल कॉलेज में उन्होंने गायनी विभाग के पास मौजूद मरीजों के परिजनों से बातचीत कर उनकी समस्याएं भी सुनीं।

 

सरकार का कहना है कि इन फैसलों से न केवल डॉक्टरों की कमी दूर होगी, बल्कि झारखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था को आधुनिक, सुलभ और प्रभावी बनाया जा सकेगा।

 

 

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