Wednesday, December 24

“अगर हालात हाथ से निकल गए तो कुछ भी आपके नियंत्रण में नहीं रहेगा” मुंबई के बढ़ते वायु प्रदूषण पर बॉम्बे हाईकोर्ट की सख्त चेतावनी

 

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मुंबई।

देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में लगातार बिगड़ती हवा को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को कड़ा रुख अपनाते हुए बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) और महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (MPCB) को कठघरे में खड़ा किया। चीफ जस्टिस श्री चंद्रशेखर और जस्टिस गौतम अंखड़ की खंडपीठ ने स्पष्ट शब्दों में चेतावनी दी कि यदि समय रहते प्रभावी कदम नहीं उठाए गए, तो स्थिति पूरी तरह नियंत्रण से बाहर हो सकती है।

 

सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा,

“अगर चीजें हाथ से निकल गईं, तो फिर कुछ भी आपके नियंत्रण में नहीं रहेगा।”

 

विकास के खिलाफ नहीं, लेकिन नियमों की अनदेखी बर्दाश्त नहीं

 

हाईकोर्ट ने दो टूक कहा कि वह विकास या निर्माण गतिविधियों के खिलाफ नहीं है, लेकिन पर्यावरणीय नियमों का सख्ती से पालन अनिवार्य है। अदालत ने माना कि वायु प्रदूषण को कम करने के लिए अब तक उठाए गए कदम नाकाफी हैं और अधिकारी नियमों को लागू कराने में विफल रहे हैं।

 

बीएमसी कमिश्नर और MPCB सचिव हुए पेश

 

पिछली सुनवाई में तलब किए जाने के बाद मंगलवार को बीएमसी कमिश्नर भूषण गगरानी और एमपीसीबी सचिव देवेंद्र सिंह अदालत में पेश हुए। अदालत ने उनसे तत्काल और ठोस कार्ययोजना पेश करने को कहा।

 

कोर्ट ने टिप्पणी की,

“हम निर्माण कार्य रोकना नहीं चाहते, लेकिन नियमों का पालन सुनिश्चित करना आपकी जिम्मेदारी है, जिसमें आप नाकाम रहे हैं।”

 

गरीबों के स्वास्थ्य को लेकर गंभीर चिंता

 

हाईकोर्ट ने विशेष रूप से निर्माण स्थलों पर काम कर रहे मजदूरों की स्थिति पर गहरी चिंता जताई। अदालत ने MPCB से पूछा कि क्या खतरनाक प्रदूषण स्तर के संपर्क में आने वाले श्रमिकों के लिए कोई स्वास्थ्य परामर्श जारी किया गया है।

 

खंडपीठ ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा,

“आप गरीबों की परवाह नहीं करते। कम से कम उन्हें मास्क तो दीजिए। यह बेसिक कॉमन सेंस है।”

 

स्वास्थ्य का अधिकार मौलिक अधिकार

 

अदालत ने दोहराया कि स्वच्छ हवा और स्वास्थ्य का अधिकार संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकार है, जो सभी नागरिकों—विशेषकर गरीबों—पर समान रूप से लागू होता है। कोर्ट ने निर्देश दिया कि परियोजना प्रमोटरों के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए जाएं, ताकि मजदूरों को गंभीर स्वास्थ्य जोखिमों से बचाया जा सके।

 

सुझावों के साथ पेश होने के निर्देश

 

अधिकारियों से व्यावहारिक समाधान की अपेक्षा जताते हुए कोर्ट ने कहा,

“सिर्फ औपचारिक जवाब नहीं, ठोस सुझाव लेकर आइए, नहीं तो यह काम नहीं करेगा।”

 

एमपीसीबी ने अदालत को आश्वासन दिया कि वह इस संबंध में बुधवार को विस्तृत सुझाव प्रस्तुत करेगा।

 

 

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