
भारत ने रक्षा के क्षेत्र में एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मेक-इन-इंडिया’ कार्यक्रम के तहत इंडिया ऑप्टेल लिमिटेड (IOL) और फ्रांसीसी कंपनी सैफरान इलेक्ट्रॉनिक्स एंड डिफेंस ने दो हाई-परिशुद्धता वाले युद्धक सिस्टम के उत्पादन हस्तांतरण के लिए समझौता किया है। इस करार के तहत अब ये सिस्टम देश में ही निर्मित किए जाएंगे, जो पाकिस्तान और चीन जैसे पड़ोसी देशों के लिए बड़ा झटका साबित होंगे।
कौन से हैं ये सिस्टम
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, इस करार के तहत विकसित किए जाने वाले दो अहम सिस्टम हैं:
- SIGMA 30N डिजिटल रिंग लेजर जाइरो इनर्टियल नेविगेशन सिस्टम – इसका उपयोग तोपखाने, मिसाइल प्लेटफॉर्म, रडार और वायु रक्षा प्रणालियों में सटीक नेविगेशन के लिए किया जाएगा।
- CM3-MR डायरेक्ट फायरिंग साइट – यह तोपखाने और ड्रोन-रोधी प्रणालियों के लिए डिजाइन किया गया है, जो सटीक लाइन-ऑफ-साइट लक्ष्यीकरण को सक्षम बनाता है।
इन सिस्टमों का लाभ
SIGMA 30N सटीक पोजिशनिंग और नेविगेशन प्रदान करता है, जिससे युद्ध के दौरान लक्ष्य पर सटीक हमला संभव होगा।
CM3-MR सिस्टम पारंपरिक और असममित युद्ध परिदृश्यों में दक्षता और प्रभावशीलता बढ़ाता है।
समझौते पर हस्ताक्षर
22 दिसंबर 2025 को नई दिल्ली में रक्षा उत्पादन सचिव संजीव कुमार की मौजूदगी में IOL के CMD तुषार त्रिपाठी और सैफरान के वैश्विक रक्षा व्यापार इकाई प्रमुख एलेक्जेंडर जिग्लर ने समझौते पर हस्ताक्षर किए।
भारत की रक्षा क्षमताओं को मजबूती
इस साझेदारी से भारत का रक्षा विनिर्माण तंत्र मजबूत होगा और थल सेनाओं की तत्परता और प्रदर्शन में सुधार होगा। इसके अलावा, भारत और सैफरान 120-140 किलो न्यूटन इंजन के विकास पर भी काम करेंगे, जो पांचवीं पीढ़ी के स्वदेशी स्टील्थ विमान के लिए उपयोगी होगा।
यह करार राफेल सौदे के बाद भारत और फ्रांस के बीच रक्षा सहयोग में एक और बड़ी उपलब्धि के रूप में दर्ज किया गया है।